बिमला का दर्द
उसका नाम बिमला (विमला) था। अपने नाम के अनुरूप ही सुंदर , सौम्य, उज्ज्वल वर्ण और
पतली दुबली सी काया थी उसकी....सूती की साड़ी पहनती थी और साड़ी पहनने का अंदाज भी उसका कुछ अलग सा था। घुटनों से जरा नीचे और एड़ियों से बहुत ऊंची होती थी साड़ी उसकी....साफ_सफाई और अपने श्रृंगार_पटार को लेकर पूरी तरह सचेत रहती थी वो....
जब गली से हमारे गुजरती थी। सब फब्तियां कसते थे उसे....मगर किसी में भी हिम्मत न थी.....अपनी छोटी उंगली के पोरों से भी छू सके उसे कोई।
राह भर रुक_रुक कर जवाब देती फिरती थी वो....किसी को भी बिना जवाब दिए छोड़ती नही थी। इसी तरह...
पतली दुबली सी काया थी उसकी....सूती की साड़ी पहनती थी और साड़ी पहनने का अंदाज भी उसका कुछ अलग सा था। घुटनों से जरा नीचे और एड़ियों से बहुत ऊंची होती थी साड़ी उसकी....साफ_सफाई और अपने श्रृंगार_पटार को लेकर पूरी तरह सचेत रहती थी वो....
जब गली से हमारे गुजरती थी। सब फब्तियां कसते थे उसे....मगर किसी में भी हिम्मत न थी.....अपनी छोटी उंगली के पोरों से भी छू सके उसे कोई।
राह भर रुक_रुक कर जवाब देती फिरती थी वो....किसी को भी बिना जवाब दिए छोड़ती नही थी। इसी तरह...