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❤प्रेम सिर्फ़ प्रेम है❤


❤प्रेम.. प्रेम है❤
शब्द भी यही और अर्थ भी यही

प्रेम.. प्रीत.. प्यार.. सभी उन एहसासों के नाम हैं जो हमें ज़िंदगी में दर्द के साथ आनंद, और इन दोनों के साथ जीना सिखाते हैं।
प्रेम का कभी अंत नहीं हो सकता...
ना पहले कभी हुआ है और ना ही ऐसा कभी होगा।
फ़िर पता नहीं क्यों लोगों से ये कहते हुए सुना है की ' वो प्यार अब ख़तम हो गया ' हम जिससे प्रेम करते थे वो हमें प्रेम नहीं करती किसी और से करती है '।
क्या अर्थ है इसका.....?
यहाँ तो जैसे प्रेम या प्यार का एहसास कभी था ही नहीं।
कोई व्यापार थोड़ी है की आप प्यार दो तो बदले मे वो भी आपको वही प्यार दे...?
ये एहसास तो स्वतः ही जन्म लेते हैं, किसीके कहने पर थोड़ी ना होता है।
प्यार या प्रेम ये खुदके भाव होते हैं किसी के प्रति, बस उस भाव को महसूस करने के लिए समय चाहिए और उस भाव में सच्चाई बसी रहनी चाहिए, उम्र भर के लिए ही नहीं, जन्मो जन्मो तकभी।
प्रेम तो समर्पण है, मन से.....
प्रेम त्याग सिखाता है, हासिल करना नहीं.....
प्रेम आत्मिक है, भौतिक नहीं.....
प्रेम अनंत है, सिर्फ आज में नहीं....
प्रेम शब्द भी है और अर्थ भी...
बस व्याख्या में नहीं...! 🙏

जयश्री✍️