...

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क्या कहूं...
क्या कहूं मेरी शहजादी,
मुझे बदनाम किया जा रहा।

मेरी मोहब्बत के आगे मेरा शक कुछ ना था,
मोहब्बत को बदनाम, शक को आबाद किया जा रहा।

कुछ यादें जला दी मैंने की वो बदनाम ना हो,
अब देखो न, तेरे जान को गाली दिया जा रहा।

सुनो! मेरी शहजादी, मुझे बदनाम किया जा रहा।

वो प्यार के लफ्ज़ जब राहुल लिखता था,
उस लफ्ज़ को उसी वक्त भुला दिया जाता था।

राहुल का लिखा गया एक-एक लफ्ज़,
अब जवाब बनकर वापस आ रहा।

सुनो! मेरी शहजादी, मुझे बदनाम किया जा रहा।

कभी शक, कभी प्यार, कभी दर्द लिखा,
ना प्यार, ना दर्द, सिर्फ शक दिखा।

कितनी बार जीते जी तेरा शहजादा मरा है,
प्यार के लिए रोया, ना जाने क्या-क्या सहा है।

फिर भी मोहब्बत को कायनात कहा,
सुनो! मेरी शहजादी, मुझे बदनाम किया जा रहा।

सुनो! मेरी शहजादी, मुझे बदनाम किया जा रहा।

© Rahul Raghav

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