अंतर है, गहरा अंतर
मुझसे रात नहीं कटती। मुझे रात भयानक लगती है। किसी श्मशान में जलती चिता से अधिक दुःखद, किसी टूटे हुए काँच से अधिक चुभन मुझे रात में महसूस होती है..
और दिन! दिन मुझे आईने से निकले परावर्तित प्रकाश की भाँति लगता है.. आँखों को क्षण भर भी असहनशील। जिन मनुष्यों का हृदय अपने ही शव को कांधा देता है वह...
और दिन! दिन मुझे आईने से निकले परावर्तित प्रकाश की भाँति लगता है.. आँखों को क्षण भर भी असहनशील। जिन मनुष्यों का हृदय अपने ही शव को कांधा देता है वह...