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अपना ख्याल रखना

जब कभी हम अपनों से अलविदा कहते हैं तो बाय के साथ अपना ख्याल रखना (टेक केयर) भी बोलते हैं। मतलब कि अब तक हम आपके साथ थे तो आपका ख्याल रखा, अब हम जा रहे हैं तो आप अपना ख्याल खुद रखना। हिहीही...! यूं समझ लेते हैं कि उन्हें अपना ख्याल रखने के लिए हम याद दिलाते हैं। याद इसलिए दिलाते हैं क्योंकि आजकल की व्यस्त जीवन शैली में लोग अपने तन और मन का ख्याल रखना भूल जाते हैं। काम करना जरूरी है, रोज काम के लिए घर से निकलना जरूरी है, अपने बच्चों का और परिवार का ख्याल रखना जरूरी है, खाना खाना जरूरी है,अच्छे से परिधान धारण करना जरूरी है, खुश रहना भी बहुत जरूरी है। ये सब जरूरी है लेकिन व्यायाम करना, ध्यान लगाना, योगा करना यह इतना जरूरी नहीं लगता, जबकि इनके अलावा उपर बताई गई बाकी सारी क्रियाएं जो बहुत जरूरी लगती है वह सारी क्रियाएं अच्छे से होने के लिए इन्हीं क्रियाओं पर निर्भर करती है। खासकर खुश रहना। क्योंकि बाकी की सारी जिम्मेदारियां निभाते निभाते कभी-कभी हम थक कर इतने निराश और हताश हो जाते हैं की चाहें जितनी भी कोशिश कर लो खुश रहने की लेकिन खुश नही हो पाते। थकान हमें शारीरिक तौर पर कमजोर बनाती है और निराशा मानसिक तौर पर। इसलिए अपना ख्याल रखना मतलब के तन और मन दोनों तरह से खुद को स्वस्थ रखना।

तन मन दोनो के स्वस्थ रखकर हम कैसे अपनी खुशी का अन्वेषण कर सकते है इसका वर्णन मैने अपनी दूसरी किताब "खुशी का अन्वेषण करें" में विस्तारपूर्वक किया है। यह पुस्तक अमेजॉन पर प्रकाशित हुई है। आपका दिन मंगलमय रहें, कामना करती हूं।


© Sunita Saini (Rani)
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