पवित्र प्रेम.....
#ऐसा ही था अमित और रिया का प्रेम.....
नदी के दो किनारों की तरह जिनका मिलना कभी सम्भव ना था।दोनों के बीच बहतीथी प्रेम की निश्छल धारा जो दोनों को जोड़कर रखती थी।रिया जानती थी कि वो कुछ दिनों की मेहमान है इसीलिए वो अमित के जीवन को बरबाद नहीं करना चाहती थी।अमित की चाहत थी कि रिया खुलकर उससे अपनी मुहब्बत का इज़हार करे लेकिन रिया चाहते हुए भी कभी खुलकर...
नदी के दो किनारों की तरह जिनका मिलना कभी सम्भव ना था।दोनों के बीच बहतीथी प्रेम की निश्छल धारा जो दोनों को जोड़कर रखती थी।रिया जानती थी कि वो कुछ दिनों की मेहमान है इसीलिए वो अमित के जीवन को बरबाद नहीं करना चाहती थी।अमित की चाहत थी कि रिया खुलकर उससे अपनी मुहब्बत का इज़हार करे लेकिन रिया चाहते हुए भी कभी खुलकर...