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पवित्र प्रेम.....
#ऐसा ही था अमित और रिया का प्रेम.....
नदी के दो किनारों की तरह जिनका मिलना कभी सम्भव ना था।दोनों के बीच बहतीथी प्रेम की निश्छल धारा जो दोनों को जोड़कर रखती थी।रिया जानती थी कि वो कुछ दिनों की मेहमान है इसीलिए वो अमित के जीवन को बरबाद नहीं करना चाहती थी।अमित की चाहत थी कि रिया खुलकर उससे अपनी मुहब्बत का इज़हार करे लेकिन रिया चाहते हुए भी कभी खुलकर नहीं कह पाती थी। वो भी अमित को दिलो-जान से चाहती थी खुद को अमित के बिना अधूरा समझती थी।उसकी चाहत थी जबतक उसकी जिंदगी है अमित के प्रेम की छांव तले गुजरे।
उसने अपनी बीमारी के बारे में अमित को सब बता रखा था फिर भी अमित उससे बेइंतहा मुहब्बत करता था और यही दर्द रिया को बहुत तकलीफ़ देता था।वो नहीं चाहती थी कि उसकी मौत के बाद अमित टूट जाये क्योंकि अमित बहुत भावुक था। अमित को गाने का बहुत शौक था उसके गानों में हमेशा दर्द होता था जो रिया को और बेचैन कर देता था।वो हमेशा ईश्वर से अमित के लिए प्रार्थना करती थी कि उसे ईश्वर सहनशक्ति दे।रिया के जाने के बाद कहीं वो टूट ना जाये वो जब भी अमित से मिलती थी उसको हंसाने की कोशिश करती थी।कुछ दिन से उसकी तबियत ठीक नहीं थी।अब उसने सोच लिया था कि वो अमित के आते ही कह देगी कि
वो भी अमित को बहुत प्यार करती है और जीना चाहती है......
वो जानती थी अमित यह सुनते ही खुश हो जायेगा और फिर शायद उसके गीतों से दर्द चला जायेगा और फिर उसके होंठो पर हमेशा प्रेम और खुशी के गीत होंगे।
( अगर हमारे कुछ शब्द किसी को खुशी देते हों तो उन शब्दों को कह देना चाहिए सिर्फ इतना ही तो कहना था उसे कि *वो भी उसे प्रेम करती है *)
*****अंजली*****