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लकीरें
तुम्हे प्यार क्या किया, तुमने दुश्मनों की तरह लकीरें खीच दी, दिल क्या दिया सजा ही दे दी। वो इश्क़ भी क्या, जिसे लकीरों में जीना पड़े। ए प्यार के दुश्मनों, प्यार करो ना कोई साजा दो।
© shachi nigam