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"शर्तिया चंदन: बगीचे की जीत की कहानी"
#शर्त
चंदन को शर्त लगाना और फिर उसे जीतना बहुत पसंद था। हर बात पर शर्त लगाना उसकी आदत में शुमार हो गया था। इसलिए चंदन को लोग शर्तिया चंदन कह कर बुलाते थे। आज फिर उस ने शर्त लगाई थी आनंद से कि वह बड़ी हवेली के बगीचे से दस आम तोड़ के लायेगा।चंदन को शर्त लगाना और उसे जीतना उसकी जीवनशैली का हिस्सा था। उसने बगीचे के आमों की ओर देखा, और उन्हें चुनने के लिए उसकी आंखों में उत्साह की चमक थी। उसने तय किया कि यह काम उसके लिए आसान नहीं होगा, लेकिन उसने अपनी क्षमताओं पर पूरा भरोसा किया।

जब रात आ पहुंची, तो चंदन बगीचे की ओर अग्रसर हुआ। चाँदनी की किरणों के बीच, वह धीरे-धीरे आमों की ओर बढ़ा। धीरे-धीरे, वह ऊपर की ओर चढ़ता गया, और एक-एक करके वह दस आम तोड़ने लगा। उसने हर आम को ध्यान से चुना, सुनिश्चित करते हुए कि कोई भी कमी नहीं रह जाए।

सुबह के समय, जब लोग बगीचे में आए, तो उन्हें हैरानी हुई कि चंदन ने शर्त को पूरा कर दिया था। उनके आंदाज़ को देखते हुए, वे उसे "शर्तिया चंदन" कहने लगे। चंदन की आदत अपनी जगह बनाई रही, लेकिन इस बार वह न केवल अपनी आदत को पूरा करता दिखाया, बल्कि उसने भी दिखाया कि वह किसी भी मुश्किल को पार कर सकता है।

© @Ruharsh