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आओ चमचागीरी सीखें
"आओ चमचागीरी सीखें"

कसम है उन चम्चगीरों की जिन्होने पूरे देश के कर्मठ लोगों को अपना पालतू बना रखा है...बगैर चमचों के बड़ा आदमी इनके बगैर दिशा हीन है....एक चम्मचें ही है जो उन्हे राह दिखाते है....बगैर चमचों के चश्में से वे दुनिया नहीं देख पाते तभी तो बड़ी-बड़ी डिग्रीधारी उनके आगे धूल झाड़ते घूमते है....अब घूमें भी क्यो ना ऐसो ने अपना आधा जीवन तो डिग्रियां लेने में ही लगा दिया...काश हमने भी आज इस महारथ को पाने के लिए किसी गुरू को तलास लिया होता तो आज हमें चम्मचों की चमचागीरी नहीं करनी करनी पड़ रही होती......!

हमारे बाप दादो ने कभी चमचागीरी नहीं की और ना ही करवाई लेकिन जमाने के साथ चमचागीरी का युग कब हावी होता गया ये हमें पता ही नहीं चला, जब...