...

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एक पत्र तुम्हारे नाम
हे मेरे प्रिय
जब से मैंने ये बात स्वीकार कर ली कि
मुझे तुमसे प्रेम है तब से ये मेरी ज़िम्मेरदारी बन गई कि मैं इस बात
की गरिमा को बनाए रखूं....
इस बात से कोई भी फर्क नहीं पड़ता कि मैं कहां हूं, कैसी हूं, व्यस्त हूं या फिर खाली हूं.... तुमसे प्रेम करना, तुम्हें...