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अनजानी रात ५
अगले दिन राज कमल को लेकर करण के घर जाता है और उसपर आरोप लगाने लग जाता है।

तूने मेरे साथ धोखा किया है! घिन आती है मुझे, तुझे अपना दोस्त कहने में! कमबख्त! तू क्या जाने दोस्ती की मायने! क्या बिगाड़ा था मैंने तेरा? राज करण पर टूट पड़ता है।
क्या? उल्टा चोर कोतवाल को डांटे! अरे धोखेबाज तो तू है! मारने की कोशिश तो तूने की थी मुझे! करण राज पर दोष डालता है।
झूठ पे झूठ! झूठ पे झूठ! अरे और कितने झूठ बोलेगा! राज गुस्से से कहता है।
अरे झूठा तो तू है! एक तो मुझे किडनैप कराता है और फिर मुझपर ही हत्या करने की कोशिश का दोष डालता है! बहुत खेल गया तू! बस अब और नहीं! करण आग बबूला हो चुका था।
अब इस दोगलेपन का कोई फायदा नहीं करण! मुझे सब पता चल चुका है! राज गुर्राते हुए कहता है।
हां करण! बहुत कर लिया तुमने नाटक! सच पता चल गया है हमें! कमल बीच में बोल पड़ता है।
क्या बकवास कर रहे हो? तुम्हारा दिमाग तो खराब नहीं… करण कह ही रहा होता है कि राज बीच में बोल पड़ता है : अरे बकवास तो तू कर रहा है। तस्करी के सामान को बेचकर अय्याशी करना चाहता है!
करण : क्या बकवास है ये?
राज(ताना मारते हुए) : सच सुना तो सहा नहीं जा रहा? अकेले ऐश करने को, मालामाल होने को मुझे अपने रास्ते से हटाने की कोशिश कर रहा है। राज ने ताना मारते हुए कहा।
करण : क्या बोल रहा है? सोच समझकर तो बोल!
राज : अब सोचने समझने को बचा ही क्या है! तुम जैसे धोखेबाज़ से क्या बहस करूं! चलो कमल! चलते हैं यहां से!

राज और कमल वहां से चले जाते हैं। उनके जाने के बाद करण सोच में पड़ जाता है

करण : आखिर राज ऐसे क्यों बात कर रहा था जैसे उसके साथ भी कुछ वैसे ही हुआ जैसे मेरे साथ? कुछ तो गड़बड़ है! कहीं…इन सबके पीछे कोई और तो नहीं! नहीं…ये मैंने क्या कर दिया!

कमल राज के चले जाने के बाद वापिस करण के घर की ओर जाता है।

करण : क्यों वापिस आया है अब? तो यारों की यारी में दरार डालकर?
कमल (हंसते हुए) : क्या? यारी? कौनसी यारी? अरे तू तो उससे नफरत करता है!
करण : मेरा किडनैप किसी और ने किया था और में राज को दोषी मान बैठा और बेवजह उससे नाराजगी मोल ले बैठा।
कमल : अगर तुझे वो मिल जाए जिसने ये सब किया तो?
करण : वो जो भी हो, मेरे हाथो से बचेगा नहीं वो!!!
कमल : कोई भी? और अगर मैं कहूं की वो तेरे सामने तुझे बात कर रहा हो…तो?
करण : क्या? क्या कहा तूने? यानी इस सबके पीछे…
कमल (मुस्कुराते हुए) : सही पहचाना तूने!
कमल (अपने चमचे से) : ऐ! पकड़ लो इसे! ले चलो अपने ठिकाने पर!

कमल करण को बेहोश कर देता है और अपने ठिकाने पर ले जाता है।

आखिर कमल ने राज और करण के साथ ऐसा क्यों किया? करण को होश आने पर उसके साथ क्या हुआ? जानने के लिए प्रतीक्षा कीजिए अगले भाग की : अनजानी रात ६


© Utkarsh Ahuja