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'समझ'
कुछ चीजें जीवन में बहुत देर से समझ आती है,उसी में से हैं ये हमारी समझ ! क्या समझे? अरे हां भई सही समझ रहे हैं आप, मैं हमारी उसी 'समझ' की बात कर रही हूं जिसे समझने में हमें बरसों लग जाते है। बालों का रंग बदल जाता है, जीने का ढंग बदल जाता है। समय की अदालत में हम तर्क-वितर्कों के जाल में फंसे, सही- गलत के दांव-पेचों में लगे वास्तविक जीवन-उद्देश्यों को भूल एक अलग-सी बेतुकी होड़ा-होड़ में दौड़ते है और अंततः दुखी भी होते रहते हैं। जब तक हमें यह समझ आती है कि मिथ्या भागना व्यर्थ है हम पहले ही बहुत कुछ सह चुके होते हैं।
पर कहा गया है ना जब जागे तभी सवेरा "जब समझ-रूपी सुनहरी भोर की किरणें आपके मन-मस्तिष्क रूपी दिव्य दरवाजे पर दस्तक दें, उन्हें अनसुना ना कर हृदय की आंखों से गहन चिंतन-मनन द्वारा समझिएगा। क्या कह रही हैं, आपकी समझ ? सुनिएगा जरूर, समझिएगा जरूर ! "
© मृदुला राजपुरोहित ✍️
‌ 🗓️ May, 2023
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