शर्त
#शर्त
चंदन को शर्त लगाना और फिर उसे जीतना बहुत पसंद था। हर बात पर शर्त लगाना उसकी आदत में शुमार हो गया था। इसलिए चंदन को लोग शर्तिया चंदन कह कर बुलाते थे। आज फिर उस ने शर्त लगाई थी आनंद से कि वह बड़ी हवेली के बगीचे से दस आम तोड़ के लायेगा।
बड़ी हवेली गाँव के जमींदार राम कुमार जी की थी जो कि बड़े दयालु और भले आदमी थे । अपने बगीचे से उन्हें बड़ा प्रेम था जिसमें उन्होंने बड़े शौक से आम,अमरूद,बेर,संतरे,मौसमी,अनार जैसे फलों और तरह-तरह के औषधीय पेड़-पौधे लगा रखे थे । बगीचे की देखभाल लंबा-तगड़ा नत्थू चौकीदार करता था जो जमींदार साहब का बड़ा वफादार था और पूरी मुस्तेदी से अपना काम करता था ।
शाम को जब अंधेरा होने लगा तो चंदन बगीचे की तरफ़ गया । आम तोड़कर शर्त जो जीतनी थी । चंदन चुपके से बाउंड्री पार कर बगीचे में कूदा । आम तोड़-तोड़ कर इकट्ठे कर ही रहा था कि न जाने कैसे नत्थू को भनक लग गई । बस चंदन को पकड़ कर उसमें दो डंडे रसीद करे और पकड़ कर जमींदार साहब के सामने ले गया ।
जमींदार राम कुमार जी ने चंदन को देखा । लड़का ही था चंदन जिसकी अभी पड़ने-लिखने की उम्र थी ।
"क्या आम तुम्हें बहुत पसंद हैं...?"
उन्होंने चंदन से पूछा ।
"जी हाँ.....!" ज़वाब मिला ।
"तो एक दो तोड़ लेते इतने सारे तोड़ कर बगीचा ख़राब करने की क्या ज़रूरत थी !" उन्होंने पूछा ।
चंदन कुछ ज़वाब देता इससे पहले ही नत्थू ने उसकी शर्त लगाने की आदत के बारे में सब कुछ बता दिया ।
जमींदार साहब को चंदन का किस्सा सुन कर हँसी आ गई ।
उन्होंने उससे शर्त-वर्त लगाने की जगह पढ़ाई पर ध्यान देने को कहा और सारे आम उसे ही दिलवा दिए ।
"अपने माता-पिता और भाई-बहनों को भी खिलाना....!"
चंदन की आँखों में आँसू आ गए । उसने जमींदार साहब के पैर छुए और आगे से कभी शर्त न लगाने,चोरी न करने और अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने का वादा किया ।
जमींदार साहब ने उसे बीच-बीच में मिलने आने को भी कहा ।
अब चंदन बहुत खुश था । उसे जीवन में एक नई सीख और राह जो मिल गई थी ।
नत्थू
© Geeta Yadvendu
चंदन को शर्त लगाना और फिर उसे जीतना बहुत पसंद था। हर बात पर शर्त लगाना उसकी आदत में शुमार हो गया था। इसलिए चंदन को लोग शर्तिया चंदन कह कर बुलाते थे। आज फिर उस ने शर्त लगाई थी आनंद से कि वह बड़ी हवेली के बगीचे से दस आम तोड़ के लायेगा।
बड़ी हवेली गाँव के जमींदार राम कुमार जी की थी जो कि बड़े दयालु और भले आदमी थे । अपने बगीचे से उन्हें बड़ा प्रेम था जिसमें उन्होंने बड़े शौक से आम,अमरूद,बेर,संतरे,मौसमी,अनार जैसे फलों और तरह-तरह के औषधीय पेड़-पौधे लगा रखे थे । बगीचे की देखभाल लंबा-तगड़ा नत्थू चौकीदार करता था जो जमींदार साहब का बड़ा वफादार था और पूरी मुस्तेदी से अपना काम करता था ।
शाम को जब अंधेरा होने लगा तो चंदन बगीचे की तरफ़ गया । आम तोड़कर शर्त जो जीतनी थी । चंदन चुपके से बाउंड्री पार कर बगीचे में कूदा । आम तोड़-तोड़ कर इकट्ठे कर ही रहा था कि न जाने कैसे नत्थू को भनक लग गई । बस चंदन को पकड़ कर उसमें दो डंडे रसीद करे और पकड़ कर जमींदार साहब के सामने ले गया ।
जमींदार राम कुमार जी ने चंदन को देखा । लड़का ही था चंदन जिसकी अभी पड़ने-लिखने की उम्र थी ।
"क्या आम तुम्हें बहुत पसंद हैं...?"
उन्होंने चंदन से पूछा ।
"जी हाँ.....!" ज़वाब मिला ।
"तो एक दो तोड़ लेते इतने सारे तोड़ कर बगीचा ख़राब करने की क्या ज़रूरत थी !" उन्होंने पूछा ।
चंदन कुछ ज़वाब देता इससे पहले ही नत्थू ने उसकी शर्त लगाने की आदत के बारे में सब कुछ बता दिया ।
जमींदार साहब को चंदन का किस्सा सुन कर हँसी आ गई ।
उन्होंने उससे शर्त-वर्त लगाने की जगह पढ़ाई पर ध्यान देने को कहा और सारे आम उसे ही दिलवा दिए ।
"अपने माता-पिता और भाई-बहनों को भी खिलाना....!"
चंदन की आँखों में आँसू आ गए । उसने जमींदार साहब के पैर छुए और आगे से कभी शर्त न लगाने,चोरी न करने और अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने का वादा किया ।
जमींदार साहब ने उसे बीच-बीच में मिलने आने को भी कहा ।
अब चंदन बहुत खुश था । उसे जीवन में एक नई सीख और राह जो मिल गई थी ।
नत्थू
© Geeta Yadvendu