अपनी अपनी दुनियाँ
यह कहानी एक माँ की है, जिसका जीवन संघर्षों और त्याग से भरा हुआ था। वह एक ऐसी माँ थी जिसने अपनी सारी जिंदगी अपने बेटे को कुछ बड़ा बनाने में समर्पित कर दी। उसका नाम सुमित्रा था, और उसके जीवन का हर पल अपने बेटे अजय की सफलता के लिए समर्पित था। अजय की दुनिया सुमित्रा के लिए सबसे महत्वपूर्ण थी, और इस दुनिया को संवारने के लिए उसने अपना सब कुछ दे दिया था।
सुमित्रा का जीवन कभी आसान नहीं रहा। वह एक छोटे से गाँव की महिला थी, जिसने अपने पति की असमय मृत्यु के बाद अपने बेटे अजय को अकेले ही पाला। उसके पास संसाधन नहीं थे, लेकिन उसकी मेहनत और संकल्प ने उसे कभी पीछे नहीं हटने दिया। जब अजय छोटा था, सुमित्रा ने उसके लिए दिन-रात काम किया। वह खेतों में काम करती, कभी कभी लोगों के घर काम करने जाती और फिर भी घर की देखभाल करती। उसके मन में एक ही सपना था कि उसका बेटा कभी भी गरीबी की चपेट में न आए, और वह अपनी पढ़ाई पूरी करे ताकि उसका भविष्य उज्जवल हो सके।
अजय भी अपनी माँ की मेहनत को समझता था। वह जानता था कि उसकी माँ ने उसके लिए कितनी मेहनत की है। लेकिन जैसे-जैसे अजय बड़ा हुआ, उसने महसूस किया कि माँ की दुनिया उसके आस-पास सीमित हो गई थी। सुमित्रा के लिए उसकी दुनिया सिर्फ अजय था, और अजय की दुनिया थी उसके स्कूल, कॉलेज, और फिर नौकरी के प्रयासों से भरी हुई। वह कभी माँ के साथ बैठकर बातें नहीं कर पाता था, क्योंकि वह हमेशा अपने करियर को लेकर व्यस्त रहता था। धीरे-धीरे अजय को यह महसूस होने लगा कि उसकी माँ की दुनिया बहुत छोटी हो गई थी, वह उसके बिना किसी दिशा के इधर-उधर...
सुमित्रा का जीवन कभी आसान नहीं रहा। वह एक छोटे से गाँव की महिला थी, जिसने अपने पति की असमय मृत्यु के बाद अपने बेटे अजय को अकेले ही पाला। उसके पास संसाधन नहीं थे, लेकिन उसकी मेहनत और संकल्प ने उसे कभी पीछे नहीं हटने दिया। जब अजय छोटा था, सुमित्रा ने उसके लिए दिन-रात काम किया। वह खेतों में काम करती, कभी कभी लोगों के घर काम करने जाती और फिर भी घर की देखभाल करती। उसके मन में एक ही सपना था कि उसका बेटा कभी भी गरीबी की चपेट में न आए, और वह अपनी पढ़ाई पूरी करे ताकि उसका भविष्य उज्जवल हो सके।
अजय भी अपनी माँ की मेहनत को समझता था। वह जानता था कि उसकी माँ ने उसके लिए कितनी मेहनत की है। लेकिन जैसे-जैसे अजय बड़ा हुआ, उसने महसूस किया कि माँ की दुनिया उसके आस-पास सीमित हो गई थी। सुमित्रा के लिए उसकी दुनिया सिर्फ अजय था, और अजय की दुनिया थी उसके स्कूल, कॉलेज, और फिर नौकरी के प्रयासों से भरी हुई। वह कभी माँ के साथ बैठकर बातें नहीं कर पाता था, क्योंकि वह हमेशा अपने करियर को लेकर व्यस्त रहता था। धीरे-धीरे अजय को यह महसूस होने लगा कि उसकी माँ की दुनिया बहुत छोटी हो गई थी, वह उसके बिना किसी दिशा के इधर-उधर...