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बहन से दोस्त तक
आज लगता हैं, समय फिर से वही आकर खडा हो गया है जहां पहले खडा था । आज भी वही खामोशी चारो तरफ है जो उन दिनों होती थी। पार्क में लोगों की ये विचित्र भीड़ मेरा परिहास कर रही हैं,ये अकेलापन अन्दर ही अन्दर देह को काट रहा है ,ये सोच कर शायद में हिम्मत करती तो सब ठीक हो जाता……………… तभी लीना आई , गोरा किसी हो…….
मैने कुछ नहीं कहा, गोरा सब ठीक है ना।
किसी से झगडा हुआ है या किसी ने कुछ कहा,
मेरे जहन में वही सब घूम रहा था, हालांकि दूसरों के लिए मेरी problam बहुत बड़ी नहीं थी पर कहते हैं ना जिसको चोट लगे दर्द होता है। मुझे अनुमान था पहले की तरह वो मुझेऔर मेरी मनो दशा को समझने की कोशिश भी नहीं करेगी।तभी लीना ने कहा मुझे एका मिली, आज क्या अभी भी तो दोनों में सुलह नहीं हुई?
मैं हकी- बकी रह गई लीना को केसे पता चला किन्तु मेरे ऊपर भावना के दबाव में उससे कुछ पूछ ही नहीं पाई
एका मेरी दोस्त नहीं दोस्त से बढ़कर मेरी सुपर गर्ल……

शैशव काल में सुना था, "एक सच्चा मित्र के बिना जीवन अधूरा होता है उसी प्रकार जैसे प्रकाश के बिना पुष्प अंकुरित नहीं होता " ...