अस्तित्व
सुबह की हल्की सी रोशनी हुई थी।। इस गर्मी के मौसम में ये जो सुबह की हवा , भागती सी एक ज़िंदगी में सुकून का पल सी थी।।
पर सुकून कहा टिकता है, गर्मी को तो आना ही होता है।।
पर वो गर्मी बड़ी जल्द आई मेरे जीवन में, और वो भी ऐसी जैसे कोई सहमी सी लहर अचानक से कश्तियां डूबा ले गई हो।।
😊
नई नई शादी में ठंडी से हवा कई ख्वाब बुन रही थी, हर पल सुनहरी सी किरण बिखर रही थी।। पर मौसम को बदलना था, उन गर्म हवाओं को अब चलना था।।
की अचानक एक भूल से नए मेहमान के आने की दस्तक हुई, खुदा की इस उपहार को कैसे इनकार करू। सपने चुनूं या ये दस्तक , कैसे समाधान करू??
सोचने लगी थी, अब जरा सब से पुछने लगी थी। दुविधा थी बड़ी,सामने मेरे खड़ी ।।फिर जरा सी स्वार्थी से बन गई, उस उपहार को छोड़ आगे बढ़ने की सोच में लग गई।। दवाई थी लेनी रात को, दिन भर बस अपने सपने को दस्तक में लग गई।
मार दू इस नन्ही से जान को ? ये खयाल आया । इसमें इसका क्या कसूर ये, ये सवाल आया? इस तानेबाने में रात हो गई ,और मां है बनना मुझे आंखो के आए उस आसू का जवाब आया।। ना था खुश हमसफर इस फैसले से, पर मां...
पर सुकून कहा टिकता है, गर्मी को तो आना ही होता है।।
पर वो गर्मी बड़ी जल्द आई मेरे जीवन में, और वो भी ऐसी जैसे कोई सहमी सी लहर अचानक से कश्तियां डूबा ले गई हो।।
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नई नई शादी में ठंडी से हवा कई ख्वाब बुन रही थी, हर पल सुनहरी सी किरण बिखर रही थी।। पर मौसम को बदलना था, उन गर्म हवाओं को अब चलना था।।
की अचानक एक भूल से नए मेहमान के आने की दस्तक हुई, खुदा की इस उपहार को कैसे इनकार करू। सपने चुनूं या ये दस्तक , कैसे समाधान करू??
सोचने लगी थी, अब जरा सब से पुछने लगी थी। दुविधा थी बड़ी,सामने मेरे खड़ी ।।फिर जरा सी स्वार्थी से बन गई, उस उपहार को छोड़ आगे बढ़ने की सोच में लग गई।। दवाई थी लेनी रात को, दिन भर बस अपने सपने को दस्तक में लग गई।
मार दू इस नन्ही से जान को ? ये खयाल आया । इसमें इसका क्या कसूर ये, ये सवाल आया? इस तानेबाने में रात हो गई ,और मां है बनना मुझे आंखो के आए उस आसू का जवाब आया।। ना था खुश हमसफर इस फैसले से, पर मां...