शिवांगी की कहानी (भाग_3)
भाग_3
शिवांगी की उम्र और समझ इतनी नहीं थी कि वो उसके साथ हुए इस दुर्व्यहार को समझ सके, पर उसने सोचा जब वो बड़ी होगी खुद के साथ न्याय करेगी, शिवांगी का अबोध मन जिसे लगता था कि दो लोगों का एक बिस्तर में साथ सोने से लड़की गर्भवती हो जाती है, जैसा कि उसने टी.वी. में भी देखा था, शिवांगी का थोड़ा पेट निकल रहा था अब उसे भी लगता कि कहीं वो भी पेट से तो नहीं, ये तो ठीक जब दो साल बाद उसकी बड़ी बहन मायके आती हैं उस वक्त बातों ही बातों में उनके मुंह से निकलता है कि पांचवा महीना मेरा चल रहा और पेट शिवांगी के निकल रहे, ये कहकर उन्होंने शिवांगी को चिढ़ाया, शिवांगी फिर से दी की बात सुनकर डर गई, खैर ये सब शिवांगी का डर था और अज्ञानता, क्योंकि शिवांगी गांव के एक सरकारी स्कूल में पढ़ती थी, जहां शिक्षकों का जब मन हो तभी पढ़ाने आते थे, नहीं तो कक्षा खाली रहती थी।
10वी के बाद शिवांगी ने 11वी कक्षा की पढ़ाई भी उसी स्कूल से की, शिवांगी पढ़ने में होनहार थी और शायद यही कारण था कि वो शिक्षकों की नजर में जल्दी आ जाती थी, और सब तो ठीक पर अब फिर एक बार शिवांगी के कक्षा में भौतकी पढ़ाने वाले शिक्षक जो ज्यादातर कक्षा में पढ़ाते वक्त लड़कियों के इर्द_ गिर्द घूमते रहते थे, अब वो शिवांगी के पीछे पड़ गए, शिवांगी अब पहली बेंच में बैठना बंद कर दी और बीच में , दीवाल की ओर बैठने लगी, यहां तक की जब एक दिन प्रयोगशाला(lab) के दर्शन कराए गए, दर्शन इसीलिए कहा क्योंकि वहां मुश्किल से दो से तीन बार ही ले जाया गया था 9वी से 12वी तक के कक्षा में, प्रयोग के वक्त शिवांगी को थोड़ी देर हो गई लेकिन जब सब जाने लगे तो शिवांगी भी परिक्षण पूरा किए बिना ही सबके साथ चली गई
इस...
शिवांगी की उम्र और समझ इतनी नहीं थी कि वो उसके साथ हुए इस दुर्व्यहार को समझ सके, पर उसने सोचा जब वो बड़ी होगी खुद के साथ न्याय करेगी, शिवांगी का अबोध मन जिसे लगता था कि दो लोगों का एक बिस्तर में साथ सोने से लड़की गर्भवती हो जाती है, जैसा कि उसने टी.वी. में भी देखा था, शिवांगी का थोड़ा पेट निकल रहा था अब उसे भी लगता कि कहीं वो भी पेट से तो नहीं, ये तो ठीक जब दो साल बाद उसकी बड़ी बहन मायके आती हैं उस वक्त बातों ही बातों में उनके मुंह से निकलता है कि पांचवा महीना मेरा चल रहा और पेट शिवांगी के निकल रहे, ये कहकर उन्होंने शिवांगी को चिढ़ाया, शिवांगी फिर से दी की बात सुनकर डर गई, खैर ये सब शिवांगी का डर था और अज्ञानता, क्योंकि शिवांगी गांव के एक सरकारी स्कूल में पढ़ती थी, जहां शिक्षकों का जब मन हो तभी पढ़ाने आते थे, नहीं तो कक्षा खाली रहती थी।
10वी के बाद शिवांगी ने 11वी कक्षा की पढ़ाई भी उसी स्कूल से की, शिवांगी पढ़ने में होनहार थी और शायद यही कारण था कि वो शिक्षकों की नजर में जल्दी आ जाती थी, और सब तो ठीक पर अब फिर एक बार शिवांगी के कक्षा में भौतकी पढ़ाने वाले शिक्षक जो ज्यादातर कक्षा में पढ़ाते वक्त लड़कियों के इर्द_ गिर्द घूमते रहते थे, अब वो शिवांगी के पीछे पड़ गए, शिवांगी अब पहली बेंच में बैठना बंद कर दी और बीच में , दीवाल की ओर बैठने लगी, यहां तक की जब एक दिन प्रयोगशाला(lab) के दर्शन कराए गए, दर्शन इसीलिए कहा क्योंकि वहां मुश्किल से दो से तीन बार ही ले जाया गया था 9वी से 12वी तक के कक्षा में, प्रयोग के वक्त शिवांगी को थोड़ी देर हो गई लेकिन जब सब जाने लगे तो शिवांगी भी परिक्षण पूरा किए बिना ही सबके साथ चली गई
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