...

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एक टीचर ऐसी भी
हैलो दोस्तों मै आप सब की प्यारी मुस्कान
हाज़िर। हूं आपके सामने अपनी जिंदगी के
कुछ बीते लम्हों के साथ, पता है इस life
में हम हजारों लोगो से मिलते हैं , उन सब
का व्यवहार अलग अलग होता है कुछ लोगो
को याद कर होठों पर हंसी आती हैं तो किसी
को याद करके आंखे नम हो जाती है , पर क्या? कोई ऐसा है जिसे याद करके आप
को उससे नफरत हो जाती है .......

मेरी लाइफ में भी एक ऐसा ही इंसान कभी
हुआ करता था..... वो थी मेरी समाज शास्त्र
वाली टीचर ........

आपको लग रहा होगा ये मुस्कान पागल है क्या ? किसी को अपनी टीचर से नफरत कैसे
हो सकती है वो तो मार्गदश्क होती है .....
तो चलिए आपको इस नफरत की वजह
बताती हूं, ........ मै आठवी क्लास में पढ़ती
थी उस समय सभी लड़कियों को टीचर ने
दो चोटी करके स्कूल आने को कहा......
था ।

लेकिन मुझे तो छोटी करनी आती ही नहीं थी
सब बच्चो की मम्मी उनकी चोटी बना दिया
करती लेकिन मुझ से तो उस खुदा ने बहुत
कम उम्र में ही मेरी मां छीन ली थी ।
पापा जिन्हें मुझसे बात करने की भी फुर्सत
नही थी । और स्मार्टफोन वो तो पापा
के पास ही रहता था आप यकीन नहीं करोगे
लेकिन मुझे तो फोन उठाना ही नौवी क्लास
में आया...... जब फाइल्स टीचर आनलाइन
बनवाले लगी...

मैने बहुत कोशिश की दो चोटी बनाने की
सात बजे का स्कूल था और मै पांच बजे
उठ कर ही ट्राई करने लगी , लेकिन
मुझ से नही बनी , फिर मै बालो में बस
ऐसे ही रबड़ लगाकर गई , वो प्रेयर
का टाइम था , सब बच्चो को चेकिंग
होने लगी मुझे लाइन से बाहर निकाला
गया और प्रेयर खत्म होने के बाद दो
घंटे तक वही खड़ा रहने की सज़ा दी....

फिर मै क्लास में गई हमारा पहला सब्जेक्ट
समाज शास्त्र का था टीचर की आधे घंटे
की क्लास होती थीं।

क्लास में टीचर आई और आते ही उसकी
नज़र मुझ पर पड़ी , मुझे नही पता उसकी
मुझ से कैसी दुश्मनी थी ।
उसने मुझे बैंच से उठने को कहा
अपने पास बुलाया, ओर मेरे बाल
कैंची से काफी सारे काट दिए ......
और बोलने लगी तुम लड़कियों को
बस यही आता है फैशन दिखाना
पढ़ना लिखने नही तुम यही सब करने
स्कूल में आती हो ...

बचपन से ही मै शांत स्वभाव की रही हू
इसलिए टीचर की बातो का जवाब देने
की वजह बस रोती रही .......
लेकिन उसके बाद जो उस टीचर ने मुझ
से कहा मानो मेरे सब्र का बांध टूट गया
उसने कहा इन जैसे बच्चो के मां बाप
भी इनकी ही तरह होते हैं घटिया ये सब
ही सिखाते है इन्हे , मुझे उस स्कूल में
आए सिर्फ दो दिन ही हुए थे और उस
समाज शास्त्र वाली टीचर में मुझे मेरा
कैरेक्टर सेटीफिकेट पकड़ा दिया......

जब उसने मेरी मां के बारे में बोला तो गुस्से
में मेरे मुंह से भी बहुत कुछ निकल गया
अरे जिस मां को मैंने बचपन में ही खो
दिया जिससे मै एक बार मिलने की उस
खुदा से भीख मागती रही उनके बार में
उसने ऐसा कहा........

क्या? मैने कुछ गलत किया........
एक समाज शास्त्र पढ़ाने वाली
टीचर की सोच ही अगर इतनी
गलत हो , क्या? वो टीचर कहलाने
योग्य है .........

पता है जब मैने उसे थोड़ा सा बोल दिया
तो उसने क्या? कहा अब तू पास होकर
दिखा ...... मै भी देखती हूं कैसे होती है।

वो तब हमारे स्कूल की वाइस प्रिंसिपल
थी और आज प्रिंसिपल है.....…
बेशक उसका पद ऊपर हुआ लेकिन
सोच आज भी वही है......।

मैने पांच साल उसी स्कूल में पढ़ाई की
इस दौरान मुझे बहुत से अच्छे टीचर भी
मिले लेकिन उसके लिए ना नफरत
कम हुई ना गुस्सा.......।










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