...

24 views

कुछ दिन का बसेरा
         मैं पक्षी राज मोर हूँ, आज मैं आप सभी को अपनी आप-बीती सुनाने जा रहा हूँ।
         भाईयों बात उस दौर की है जब मनुष्य जाति को अंग्रेजों के ग़ुलामी से आज़ादी मिली थी। उस समय विरल बस्तीयाँ हुआ करती थी। चारो ओर हरियाली ही दिखाई देती थी।
         मैं उस जंगल का रहवासी था जहाँ चहुँ ओर बस चिड़ियों की चहचहाट और जानवर भाईयों की आवाज़ तथा पेड़ों के हिलने डुलने की गुंज और हवाओं की सनसनाहट सुनाई देती थी । प्रकृति ने अपनी खुबसूरती बड़े मनमोहक तरीके से सँवारी थी।
         उस समय मेरी दुनिया कुछ और ही थी, मैं अपनी प्रियतम मोरनी के साथ रहता, जब वो ठुमकती तभी मैं भी नाच उठता। अपार प्रेम था हमारे बीच में।
        उस जंगल में नाना प्रकार के पक्षी, जानवर, पेड़ पौधे, कीड़े मकोड़े सभी...