...

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भोलेनाथ बाबा का सहारा
जब कोई सहारा नहीं मिलता,
इंसान अनजानों में सहारा ढूंढता।
जब मिला सहारा अनजानों में,
आये भोलेनाथ तुम छुपे भेष में।

कभी न निराश करो किसी जन को,
बनो मरहम तुम हर पीड़ित तन को।
गर आये कोई उम्मीद से तेरे दर,
तुम दो समर्थन उन्हें जी भर।।

यह जीवन है चार दिन का मेला,
यहां हर कोई है चलता ठेला।
गति और चलना ही है जीवन,
रुक जाना है एक मरण।।

आओ रोज करें एक नेक काम,
शुरू करें हम लेकर,अपने इष्ट का नाम।
वो हों भोलेनाथ या हों श्रीराम,
इष्ट ही बनाएंगे सारे बिगड़े काम।।

भोले बाबा का नाम ,
करता शिव की महिमा का गान।
वही हैं करुणा के आधार,
अपने बच्चों का करते बेड़ा पार।

कोई नहीं है यहां पूर्ण सुखी,
सब हैं कहीं न कहीं दुखी।
कोई निर्धनता से दुखी,
कोई अतिशय धन से है दुखी।

किसी को संतानहीनता का दुख,
किसी को संतान के कर्मों का दुख।
कोई बेरोज़गारी को लेकर रोता,
कोई कैरियर को लेकर तड़पता।

किसी को मंदिर,मस्जिद में मिलता चैन
कोई गुरुद्वारे में बिताता अपनी रैन,
कोई बाहर खुशी का आलम ढूँढता,
कोई होटल में रंग रेलियां मनाता।

मित्रों,समय है,अब भी जागो,
पुरातन संस्कार की ओर लौट चलो।
नित सुबह-शाम ईश्वर भजन कर,
जीवन अपना सफल कर लो।


© mere alfaaz