शिवरात्री की यादें
समय कब पंख लगा कर उड जाता है पता ही नही चलता। समय के साथ बहुत कुछ बदलता
रहता है। आज महाशिवरात्रि है। हमारे बचपन में आज के दिन कितनी धूम हुआ करती थी।
सुबह सवेरे उठ जाना। उठ कर नित्य कर्म के
बाद सारे पूजा गृह में इकठ्ठा होते। माँ आराम से बैठ पहले शिवजी का अभिषेक करतीं, फिर ज्योत जला कर फल फलाहार और भंग
का भोग लगता।
मैं और माँ मंदिर जाते। भैय्या और पापा घर पर ही टी. वी देखते। मंदिर...
रहता है। आज महाशिवरात्रि है। हमारे बचपन में आज के दिन कितनी धूम हुआ करती थी।
सुबह सवेरे उठ जाना। उठ कर नित्य कर्म के
बाद सारे पूजा गृह में इकठ्ठा होते। माँ आराम से बैठ पहले शिवजी का अभिषेक करतीं, फिर ज्योत जला कर फल फलाहार और भंग
का भोग लगता।
मैं और माँ मंदिर जाते। भैय्या और पापा घर पर ही टी. वी देखते। मंदिर...