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श्लोक
दर्शनध्यानसंस्पशैर्मत्सी कुर्मी च पक्षिणी।
शिशुं पालयते नित्यं तथा सज्जनसंगतिः।।

श्लोक का अर्थ:
जैसे मछली अपने बच्चों को देखकर, मादा कछुआ ध्यान (देखभाल) से और मादा पक्षी स्पर्श से अपने बच्चों का लालन-पालन करते हैं, उसी प्रकार सज्जनों की संगति भी दर्शन, ध्यान और स्पर्श द्वारा संसर्ग में आए व्यक्ति का पालन करती है।

श्लोक का भावार्थ:
आचार्य ने इस श्लोक द्वारा सज्जनों के अत्यंत सुक्ष्म प्रभाव की ओर संकेत किया है। मान्यता है कि मछली अपनी दृष्टि से, मादा कछुआ ध्यान से तथा पक्षी अपने स्पर्श से अपनी संतान का लालन-पालन करते हैं। सज्जन भी दर्शन, ध्यान और स्पर्श से अपने आश्रितों को सुरक्षा प्रदान करते हैं और विकास में सहयोगी होते हैं। सज्जनों के दर्शन से आत्मबल में वृद्धि होती है और संकल्प दृढ़ होता है। यदि उनका ध्यान किया जाए और यदि उनके चरणों का स्पर्श कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाए, तो सफलता, उन्नति और विकास सहज हो जाता है।