...

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वो लम्हा कितना खूबसूरत है......
वो लम्हा फिर से जीना है जिस मे तुम मेरे थे और मै तुम्हारा हा जानता हूँ क्या किया है तुमने और मैंने हमने जुदाई और बिछड़ने के दर्द से कर झगड़े के बहाने ढूँढे गलत समझा एक दूसरे को ताकि नफरत हो जिस से उस एहसास का असर कम हो क्युकि वो तोड़ के रख देता अफसोस मैंने तुम्हारी मदद की मुझे गलत समझने मे नफरत करने मे क्युकि मै भी नही चाहता था की तु मुझे याद करके रोये जब में ये कर रहा था कितना जल रहा था तूने पूछा भी नही एक बार मै क्यों ऐसा कर रहा था और फिर दोनों ने ही गलत मान लिया एक दूसरे को पर दिल दोनों का नही मान रहा था तो लोगो का सहारा लिया खुद को सम्भालने मे मुझे पता है यार तेरी कोई गलती नही तु भी जानती है मेरी भी नही बस हम डर गए थे शायद निभा न सके तो बिखर जायेंगे इसीलिए जो बाते थी भी नही वो सोची ताकि तकलीफ कम हो क्युकि वो लम्हा जिसमे तुम सिर्फ मेरे थे मै तो आज भी तेरा हू जिंदा हूँ और हमेशा तेरा ही रहूँगा मिलना न मिलना सोचा ही नही था दोनों ने बस उस लम्हे मे खोये थे फिर तुमने कहा तेरी आदत होगयी है छोड़ दूँगी मुझे महोब्बत हुई आदत थी तो तुमने बदल दी या छोड़ दी मेरी महोब्बत थी न बदल पारहा हूँ छोड़ने को जिंदगी छोड़नी पड़ेगी सुन न मै आज भी डूब जाता हूँ उस लम्हे मे जिसे शायद तुमने मेरी मदद से मेरी नफरत मे कमजोर कर दिया ताकि तुम आगे बड़ सको मै तो यही चाहता भी था जानता हूँ तुझे जब भी मेरी याद आती है दर्द होता है तो तु मेरी गलतिया याद कर लेती है जो मैने खुद की तेरे लिए ताकि सम्भाल सके खुद को रोक लेती है आँसू अपने पर यकीन मान वो दर्द मुझे होता है फिर तेरी आवाज़ आती है कानों मे जो रोने भी नही देती पर दर्द को बड़ा देती है हमे वक़्त चाहिए था शायद और क्युकि प्यार दोनों मे था एक दम पवित्र गंगा की तरह जिसे भूल जाना मुमकिन नही
मरते दम तक मैने वो किया तेरी खुशी के लिए तेरी respect के लिए अब तु अपने भाई माँ सबसे बात कर सकती है खुल कर तेरा वो डर दूर किया तुझे तु जो अब है बनाने मे मैने
खुद को खो दिया मै आज भी इंतजार करता हूँ शायद वो लम्हा फिर जीने को मिले और इस बार मै सब सँभाल लू
क्युकि मै जानता हूँ यार हम दोनों ही गलत नही थे बस वो वक़्त थोड़ा जल्दी आ गया था तुम्हे भी कुछ करना था
मुझे भी दोनों का नाज़ुक वक़्त एक ही वक़्त मे था टी सम्भाल नही सके मगर तु चिन्ता मत कर सही वक़्त आने दे
आगे बड़ मै आज भी तेरे साथ हूँ और सही वक़्त पर आऊंगा लेने तुम्हे तुम बस वही रहना जो मिले थे पहली मुलाकात मे बाकी तेरी मर्ज़ी क्युकी तूने बहुत सहा है
जो तु थी भी वो भी कहा है मै तुझसे नफरत करलू पर
पागल वो एहसास सत्य है उसे मिटाया नही जा सकता
हा तु मेरी गलतिया सोच कर कुछ देर सुकून पा सकती है
मगर मेरा दिल नही मानता आज भी की मुझे भुला सकती है
वो लम्हा हमे फिर जीना है बस इस बार किसी की नज़र नही लगेगी न कोई उंगली उठेगी बस मै और तुम कोई और नही
वो भी सबकी मर्ज़ी से खुशी से क्युकी सब जो समझते है
उनको भी सच तो पता ही है लगभग बस उसमे से झुठ को मिटना है जो था ही नही बस मजबूरी थी उस वक़्त की जो ज़रूरी थी दोनों के लिए याद आउ तो उदास मत हुआ कर
वही मिला कर सिड़ियों के पास मै भी घंटो इंतजार करता हूँ
उसी पेड़ के नीचे जिस वक़्त पहली बार बात हुई वो पेड़ गवाह है दोनों की खुशी का उस लम्हे का जो हमे फिर से जीना है एक बार इस दुनिया से जाने से पहले
तेरा पागल .. तेरे इंतजार मे की तेरी वो आवाज़ फिर कान मे गूजे और फिर जीलूँ मै हँसकर अपनी ज़िंदगी का वो लम्हा
जो हमे फिर से जीना है 🥺🥺🥺
© Guru.d.sharma