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the warrior/ep:-3 ओबेरॉय फॅमिली
आरुसी अनु से मिलके अपने घर आती है और अपने कमरे मे जाके दरवाजा बंद कर ,अपने बेड के पास रखे  नाइट लैम्प को हटा कर उसके नीचे एक हिडन स्विच था उसे उसने दबाया |उसके दबाने से बेड के  साइड मे लगे पेंटिंग दीवार से अंदर खसक गई और खुफिया रास्ता खुल गया |वह उसके अंदर जाके उसे फिर से बंद कर लेती है | अंदर आते ही एक चैर पे बैठ के सामने दीवार पर देखती हुई कुछ सोचने लगती है | "बहुत कुछ वापस लेना है मुझे तेरे फॅमिली से विवेक ,सीधी साधी लड़की को तुम्हारे फॅमिली ने खूनी बना दिया .. "दीवार पे लगे तस्वीरों को देखते हुए आरुसी ने कहा | दीवार के पास जाके उसने एक और तस्वीर वहाँ लगा दी ,उस तस्वीर मे कोई बिल्डिंग थी जिसपे AO का logo बना हुआ था | तस्वीर लगाने के बाद उसने बाजू मे टेबल पे रखे डायरी को उठा के चैर पे बैठ के उसे खोलती है | उस डायरी के पहले पेज पर अकक्षित ओबेरॉय का  नाम लिखा था | वह आगे और पेज़्स को पलट कर पढ़ ने लगती है जैसे उस डायरी और उसका कोई संबंद हो | कुछ देर तक पढ़ ने के बाद वह वही सो जाती है |

दूसरी ओर विवेक भी कोई आदमी की  तस्वीर को हाथ मे लिए कुछ सोच रहा था | " अकक्षित ओबेरॉय , मेरे बड़े पापा , इस घर के बड़े वारीश  और मेरे पापा के दुसमन " आँखों मे गुस्सा लिए मन मे विवेक ने कहा | "पर मुझे नहीं लगता की आप ऐसा कुछ मेरे पापा के साथ किए हो करके " सोचते हुए मन मे बोला |

{flash back}

एक आदमी अलिसांन कुर्सी  पे बैठ के अपनी तस्वीर खिचा रहा था | "आप जैसा नूर वाला इंसान आज तक हमने नहीं देखा अकक्षित सर " कैमरमैन ने अकक्षित से कहा | "शामलाल , देखोगे भी कैसे इन जैसा कोई ओर होगा तब तो देख पाओगे तुम " अकक्षित के मैन्जर ने शामलाल (कैमरमैन ) से कहा | "ये तो सच कहा आपने मैन्जर साहब "तस्वीर खीचते हुए शामलाल ने मैन्जर से कहा | "अब बस करो दोनों और मैन्जर तुम्हें पैसे काम करने का देता हूँ न की मेरे तारीफ़ों के " थोड़ा गुस्सा होते हुए अकक्षित ने दोनों से कहा | "बड़े पापा, मैं आ गया वापिस घर  "  और कुछ वह अपने  मैन्जर को बोल पाता उसे पहले ही बोलते हुए एक लड़का दरवाजे से अकक्षित के ओर भागते हुए आया "विवेक ,दिन कैसा था तुम्हारा " उसे गले लगाते हुए अकक्षित ने उससे पुछा  | "अच्छा था आज का दिन  मुझे बहुत मजा आया  स्कूल मे " विवेक ने अकक्षित को जवाब दिया |  उतने मे विवेक के पापा अनंत वहाँ पे आता है | "तुम से अकेले मे बात करना है मुझे अनंत "उसे देख अकक्षित ने  उससे कहा | 

"विवेक बेटा , तुम जाके रेस्ट करो मुझे तुम्हारे पापा से कुछ जरूरी बात करना है " विवेक को देखते हुए अकक्षित ने उस से कहा | "पर मुझे आपके साथ खेलना था " मासूम सा चहेरा बनाते हुए विवेक  ने अकक्षित से कहा |  "हम बाद मे खेल लेगे फिलाल तुम रेस्ट करो  " उसे समझाते हुए अकक्षित ने उससे कहा | हाँ मे सिर हिलाके वह  वहाँ से अपने कमरे मे चला जाता है |

विवेक  के जाने के बाद अनंत को अपने कमरे मे लेके जाके एक फाइल उसे पकड़ाता है "मुझे इस चीज का जवाब चाहिए " अकक्षित ने अनंत से कहा |"वह भाईसहाब, ये फाइल को मैं अभी भी जाँच कर  रहा हूँ, मुझे अब तक पता नहीं चला है की ये किसने किया है " उस फाइल को देख वह डरते हुए अकक्षित को  बोलता है | "जल्दी ढूंढो जल्दी उसे बहुत नुकसान हो गया है कंपनी का , अगर तुम उसे ढूंढ नहीं पाए तो तुम्हें मे फायर कर दूंगा "  गुस्से मे अकक्षित ने अनंत से कहा | और अकक्षित कमरे से  बाहर आ गया |

अकक्षित कमरे से जाने के बाद अनंत गुस्से से हाथ को दीवार पर मारता है और अपने कमरे मे जाने लगता है की उतने मे उसे एक कॉल आता है "देखो अभी भाई को मुझ पे सख होने लगा है जो भी तुम्ह कर रहे हो बस समाल के करो  तुम्हारे बजे से मैं फसा न तो तुम्हारा सारा पोल खोल दूँगा मैं "उस कॉल को उठा के अनंत फोन पे बोलता  है | "तुम चिंता मत करो भाई मैं हूँ न , मैं सभ समाल लूँगा " फोन के दूसरे साइड से वह आदमी अनंत को जावभ देके फोन काट देता है | अनंत टेबल पे फोन रख के कुछ सोचने लगता है उतने मे एक छोटी सी लड़की कमरे के अंदर आके उसके सामने कुर्सी पे बैठ जाती है " पापा ने ज्यादा डाट दिया न आपको चाचू ,वह ऐसे ही है मुझे भी डाट ते रहते है पर कोई बात नहीं मैं हूँ न आपके साथ मैं आपकी हेल्प करूंगी " मासूम सा चहरा बनाते हुए वह लड़की अनंत से बोली | "ओ मेरा बच्चा क्या हुआ अगर तुम्हारे  पापा तुम्हें डाटते है तो तुम्हारा चाचू है न तुम्हें प्यार करने के लिए, वैसे तुमने इतना बोल दिया मेरे लिए उतना काफी है आरुसी " आरुसी के सिर पर हाथ फेरते हुए अनंत ने उससे कहा | 

[अगली दुपहर  ] 

एक कमरे से अचनक से छीलने की आवाझ आती है जब आरुसी और विवेक उस कमरे मे जाके देखते है तो चाकू लिए अनंत खून से लत पट था और सामने अकक्षित की लाश पढ़ी हुई थी उसे देख दोनों डर जाते है और रोने लगते है | अनंत अब आरुसी के तरफ बढ़ता है उसे देख आरुसी छीलने वाली होती है की उतने मे वर्तवान वाली आरुसी झट से अपनी आँखे  खोल देती हैं | हफते हुए वह बिस्तर से उठती है और उस खुफिया कमरे से बहार आ जाती है | और  मॉर्निंग वॉक पे निकल जाती है |

थोड़ा वर्काउट के बाद आरुसी एक मस्त तालब ले पास बैठ के सन्राइज़ देख रही होती है "मुझे उगता हुआ सूरज और डूबता हुआ सुरज बहुत पसंद है क्यू कि उगता हुआ सूरज पूरना को छोड़ नए मे जीने का मोका देता है और डूबता हुआ सुरज दिन भर मे हुए बुरे चीजों को भुलाने का मोका देता है , पर कुछ यादे ऐसे भी होती है जिसे  कभी भुला नहीं पाते हम " उगते सूरज को देखते हुए आरुसी ने मन मे कहा | 

ऐसा क्या किया था अकक्षित ने अनंत के साथ, कि उसने अकक्षित को जान से मार दिया ? और कोन है वह फोन वाला आदमी और ऐसा क्या किया उसने ओबेरॉय कंपनी के साथ सब जानेगे अगले चैप्टर मे |


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