...

2 views

फूलों की होली
भारत में मनायें जानें वाले त्यौहारों की सबसे बड़ी विशेषता है उनके पीछे छिपे अनेक पौराणिक कथाएं। ये कथाएं जनमानस को अपनी ओर आकर्षित करती हैं और त्यौहार मनाने का औचित्य प्रदान करती हैं।
होली भारतीय त्यौहारो में सबसे रंगीला और स्फूर्ति दायक त्यौहार है।यह दिवाली की तरह बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है
होली का त्योहार दो दिन बनाया जाता है
होली से पहले आने वाले आठ दिन होलाष्टक कहलाते हैं इन दिनों में कोई शुभ कार्य वर्जित होता है। होली त्यौहार का पहला दिन होलिका दहन कहलाता है दूसरे दिन को धुलेंडी, धुलंडी और धूलि नाम से जाना जाता है इस दिन लोग जी भर कर एक दूसरे को रंग गुलाल लगाते हैं गले मिलते और मिठाई खास तौर से गुंजिया खाते और खिलाते हैं
होली के साथ प्रचलित अनेक पौराणिक कथाओं में से एक कथा ये भी है युधिष्ठिर को श्री कृष्ण ने बताया कि श्री राम के एक पूर्वज रघु के शासन में एक असुर महिला थी उसे कोई नही मार सकता था क्योंकि वह एक वरदान द्वारा सुरक्षित थी उसे गलि में खेल रहे बच्चों के अलावा किसी से डर नहीं लगता था। एक दिन गुरु वशिष्ठ ने बताया उसे मारा जा सकता है यदि बच्चे अपने हाथों में लकड़ी के छोटे टुकड़े लेकर शहर के बाहरी इलाके में चले जाएं और सूखी घास के साथ उनका ढेर लगा कर जला दें फिर उसके चारों ओर परिक्रमा करें तालि बजाएं नृत्य करें ऐसा करने से वो राक्षसी बच्चों के डर से उस अग्नि में कूद गयी और भस्म हो गई
इस दिन को तभी से एक उत्सव के रूप मे मनाया जाता है क्योंकि यह बुराई पर अच्छाई की विजय थी एक राक्षसी पर मासूम हृदयो की विजय थी
होली के साथ श्री राधा कृष्ण के निश्छल पवित्र और अमिट प्रेम का अमिट नाता है एक बार राधा जी कृष्ण जी से रुठ कर चलीं गईं, कृष्ण जी के द्वारा मान मनुहार के बहुत से समाचार भेजने के बाद बड़ी कठिनता से जब राधा जी वापिस आई तो
कृष्ण जी ने प्रेम और आदर से राधा जी पर पुष्प वर्षा कर दी। कृष्ण जी को ऐसा करते देख गोपियां भी राधा जी पर फूल बरसाने लगीं
‌‌ तभी से फूलों की होली खेली जाने लगी लोग पानी, आजकल मिलने घटिया रंग गुलाल से बचने के लिए और होली के नाम पर होने वाली अश्लीलता से बचने के लिए फूलों से होली खेलते हैं
इस प्रकार वातावरण के साथ दिल भी महक जातें हैं
आप सबको होली की हार्दिक शुभकामनाएं
please Holi in aHoly way

© सरिता अग्रवाल