राजस्थान स्थापना दिवस री मोकलीं शुभकामनावां
आज सोशल मीडिया माथै घणी जग्यां राजस्थान-स्थापना दिवस छायों रो हो, सांच केहूं तो म्हनै ही उनसूं याद आयो, पण याद आयो तो पछै सागिड़ो ही आयो ! ऊपर छात माथै जान नैचे रे सागै "धरती धोरां री" गीत फोन माथै सुनियों ! कन्हैया लाल जी सेठिया, काईं चोख्यों गीत लिख्यों, एक एक शब्द आपरौं स्यों लागै ! टाबरपना री यादां ताजी व्हेगीं। स्कूल माइं झंडा नै15 अगस्त अर 26 जनवरी माथै ओ गानों म्हैं आप गा राख्यौ हूं। बे बड़ी-बड़ी मूंछ्यां आलां गुरूजी आप म्हानैं सगलां ने राग गा रै बतायी, हेर सिखायी । ज्यूं-ज्यूं गीत बाजै, अर म्हारों कालजों म्हारें गांव री यादां स्यूं डगमग करै, ज्यूं सगली यादां भेली होय गीत रां बोल स्यूं आपरों तार जोड़े । म्हारें गांव रा धोरां अर मोर , आज म्हनैं घणा याद आयां, कूड़ी कोनी बोलूं पण आख्यां आली व्हेगी । मन म्हां तो, माँ-दादा री यादां रो फुहारों फूट्योड़ो हो, आंख्यां स्यूं बेहनो भी जरूरी हो! कठै गिया माँ थै, क्यूं गिया, केन फूट-फूट र रोने रो मन करियो । उम्र रै साथै समझदारी आलै कायदों जान र मिनख आज खुल र रोय भी कोनी सकें।
गीत तो घणों ही वीरता-शूरता सागैं सगलां ही बातां ने दिखावै हो, पण काईं-काईं चीजां स्यूं आपणौ इंतर्मन इतरौ जुड़योड़ो व्है, कि आपां ण इज नी ठां व्हैं। गांव री यादां मां म्हनैं म्हारीं मावड़ी घणी याद आईं, दादा भी घणां आयां, पछै सगलीं यादां, राबड़ी-कांदौ, बाजरी रोटी, गायां-भैस्यां रो दूध, खेत-धोरां स्यूं तिसलनों, खेत माइली चाय, सांगरियां रो खेलड़ो, मीठां-मीठां बोरियां, काकड़िया-मतिरीयां, मींदर रा झींझा, कुएं-रौ-पानी,बां लटकन आली इंडूणी, बो छेरनों अर चूंट्यों, लकड़यां रौ भारियों, अर चूल्हें रौ धुंओ,घणी बातां सागै ही याद आयीं। म्हनैं घणी राजस्थानी-मारवाड़ी लिखनी कोनीं आवैं, पण कोशिश करूं कि कठैं ही आवैं बां ही भूल नीं जाऊं, घणी गलतियां रहैं ला , पण मायड़ भाषा रै प्रेम न छोड़ नी संकू! गलत-सही चाल सी, मन रां भावां नै मन री भाषां म्हां लिखनों जरुरी संमझूं। 💦 जावतै-जावतै आपणैं राजस्थान स्थापना दिवस री मोकलीं शुभकामनावां 🙏💐
©Mridula Rajpurohit ✍️
🗓️ 30 March, 2022
© All Rights Reserved
गीत तो घणों ही वीरता-शूरता सागैं सगलां ही बातां ने दिखावै हो, पण काईं-काईं चीजां स्यूं आपणौ इंतर्मन इतरौ जुड़योड़ो व्है, कि आपां ण इज नी ठां व्हैं। गांव री यादां मां म्हनैं म्हारीं मावड़ी घणी याद आईं, दादा भी घणां आयां, पछै सगलीं यादां, राबड़ी-कांदौ, बाजरी रोटी, गायां-भैस्यां रो दूध, खेत-धोरां स्यूं तिसलनों, खेत माइली चाय, सांगरियां रो खेलड़ो, मीठां-मीठां बोरियां, काकड़िया-मतिरीयां, मींदर रा झींझा, कुएं-रौ-पानी,बां लटकन आली इंडूणी, बो छेरनों अर चूंट्यों, लकड़यां रौ भारियों, अर चूल्हें रौ धुंओ,घणी बातां सागै ही याद आयीं। म्हनैं घणी राजस्थानी-मारवाड़ी लिखनी कोनीं आवैं, पण कोशिश करूं कि कठैं ही आवैं बां ही भूल नीं जाऊं, घणी गलतियां रहैं ला , पण मायड़ भाषा रै प्रेम न छोड़ नी संकू! गलत-सही चाल सी, मन रां भावां नै मन री भाषां म्हां लिखनों जरुरी संमझूं। 💦 जावतै-जावतै आपणैं राजस्थान स्थापना दिवस री मोकलीं शुभकामनावां 🙏💐
©Mridula Rajpurohit ✍️
🗓️ 30 March, 2022
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