मां,,
वैसे तो मेरी कभी तुझसे मुलाक़ात नहीं हुई मां,, पर अपने मन में मै हमेशा तेरी ही
तस्वीर बुनती हूं,,
करके अपने सपनों में तेरी कल्पना मै खुद को एक कलाकार समझती हूं,,
आ कर देख के इक बार मां अब तेरी
ये नन्ही मुस्कान रोती नहीं यू छोटी छोटी बातों पर बस खोमोश सी रहा करती है,,
बेहते नहीं मेरी आंखो से अब आंसू मां
बस आंखो में ना जाने क्यों एक नमी सी रहा करती है,,
सब कुछ तो है मां पास मेरे पर फिर भी इस दिल को एक तेरी कमी सी खला करती है,,
लाखो लोगो की भीड़ में भी ना जाने क्यों मां तेरी से मुस्कान खुद को बिल्कुल तनहा और अकेला सा मेहसूस किया करती है,,
जब याद तेरी आती है मां तो घर के एक कोने में छुप छुप कर मै रोती हूं,,
कोई नहीं जानता मां की मै चादर ओढ़कर क्यों सोती हूं,,
मां मै सबके सामने बहुत मजबूत बना करती हूं पर तुझे तो पता है ना कि
मै अंदर से कितना टूट चुकी हूं,,
एक तू जो नहीं मां पास मेरे मुझे ऐसा लगता है कि मानो मुझसे खफा मेरी ही परछाई हो जैसे उस खुदा ने मुझे मेरे किसी जुर्म कि सजा सुनाई हो,,
मां तेरी ये नन्ही मुस्कान बड़ी तो हो गई
पर अब भी जब अंधेरे से डरती है ,,
तेरी आंचल की छांव ही हर तरफ तलाश करती है,,
गलती क्या थी मेरी बस हर बार खुद से एक यही सवाल करती हूं इसलिए मै उस खुदा से नफ़रत किया करती हूं,,
मां आज सब मुझे तेरी ही परछाई
कहकर बुलाते है,,
पता है मां जब मै एक पुरानी अलमारी को खोल रही थी तब मुझे उसमे
तेरी एक पुरानी साड़ी मिली,,
जिसे पकड़कर मै बहुत रोई थी तेरा
अहसास मेहसूस करने के लिए मै तेरी साड़ी को ओढ़कर सोई थी,,
उस दिन पहली बार शायद मै चैन की नींद सोई थी,,
मां आज कल तेरी मुस्कान को सब पत्थर समझने लगे है जिसे किसी को
भी देखकर दर्द नहीं होता,,
अब तू ही बतला की भला उन्हे ये कैसे समझाऊं मै की इतना रोया है मैने तेरी याद में की अब तो इन आंखो से एक भी आंसू तक नहीं बेहता,,
मां एक तेरे सिवा कोई भी मुझे समझता नहीं क्यों उस खुदा को मेरा ये दर्द दिखता नहीं,
,
आखिर मुझे मेरे किस गुनाह की वो खुदा मुझे सजा दे रहा है मै जिसको भी चाहती हूं वो मुझे उससे ही दूर कर रहा है,,
सब कुछ तो छीन चुका है अब बस मैने आपकी यादों का मंजर खुद में समेटा है,, अगर किसी ने उसको छीनने कि कोशिश करी मां तो तेरी ये
मुस्कान जी ना पाएगी,, टूट तो पहले ही चुकी है अब बिखर भी जाएगी,,
मां मै चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हो जाऊं पर तेरी याद तो मुझे हर पल
बहुत सताएगी,,
चल रोक लेओगी किसी तरह मै अपने
आंसू, पर फिर भी इन आंखो में एक नमी सी रह जाएगी,,
मां सब कुछ पाकर भी मेरी जिंदगी में बिन तेरे एक कमी सी रह जाएगी,,
मां तेरी याद मुझे बहुत रुलाएगी ,,
मां अब तक जो बात मैने सब से छुपाई थी,, आज पेहली बार सबके सामने बयां कर रही हूं ,, आज मैं अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा सच कह रही हूं,,
हां दर्द मुझे भी होता है मै भी रोती हूं
अब चिलाया नहीं करती खामोश रहकर ही दर्द सहा करती हूं,,
अंधेरा भी अब मुझे अच्छा लगने लगा
डर तो मुझे अब उजाले से लगने लगा है,,
दो पल का ये उजाला फिर अंधेरी रात है जिंदगी मेरी ,, हर दिन एक नए दर्द का आगाज है जिंदगी ,,
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तस्वीर बुनती हूं,,
करके अपने सपनों में तेरी कल्पना मै खुद को एक कलाकार समझती हूं,,
आ कर देख के इक बार मां अब तेरी
ये नन्ही मुस्कान रोती नहीं यू छोटी छोटी बातों पर बस खोमोश सी रहा करती है,,
बेहते नहीं मेरी आंखो से अब आंसू मां
बस आंखो में ना जाने क्यों एक नमी सी रहा करती है,,
सब कुछ तो है मां पास मेरे पर फिर भी इस दिल को एक तेरी कमी सी खला करती है,,
लाखो लोगो की भीड़ में भी ना जाने क्यों मां तेरी से मुस्कान खुद को बिल्कुल तनहा और अकेला सा मेहसूस किया करती है,,
जब याद तेरी आती है मां तो घर के एक कोने में छुप छुप कर मै रोती हूं,,
कोई नहीं जानता मां की मै चादर ओढ़कर क्यों सोती हूं,,
मां मै सबके सामने बहुत मजबूत बना करती हूं पर तुझे तो पता है ना कि
मै अंदर से कितना टूट चुकी हूं,,
एक तू जो नहीं मां पास मेरे मुझे ऐसा लगता है कि मानो मुझसे खफा मेरी ही परछाई हो जैसे उस खुदा ने मुझे मेरे किसी जुर्म कि सजा सुनाई हो,,
मां तेरी ये नन्ही मुस्कान बड़ी तो हो गई
पर अब भी जब अंधेरे से डरती है ,,
तेरी आंचल की छांव ही हर तरफ तलाश करती है,,
गलती क्या थी मेरी बस हर बार खुद से एक यही सवाल करती हूं इसलिए मै उस खुदा से नफ़रत किया करती हूं,,
मां आज सब मुझे तेरी ही परछाई
कहकर बुलाते है,,
पता है मां जब मै एक पुरानी अलमारी को खोल रही थी तब मुझे उसमे
तेरी एक पुरानी साड़ी मिली,,
जिसे पकड़कर मै बहुत रोई थी तेरा
अहसास मेहसूस करने के लिए मै तेरी साड़ी को ओढ़कर सोई थी,,
उस दिन पहली बार शायद मै चैन की नींद सोई थी,,
मां आज कल तेरी मुस्कान को सब पत्थर समझने लगे है जिसे किसी को
भी देखकर दर्द नहीं होता,,
अब तू ही बतला की भला उन्हे ये कैसे समझाऊं मै की इतना रोया है मैने तेरी याद में की अब तो इन आंखो से एक भी आंसू तक नहीं बेहता,,
मां एक तेरे सिवा कोई भी मुझे समझता नहीं क्यों उस खुदा को मेरा ये दर्द दिखता नहीं,
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आखिर मुझे मेरे किस गुनाह की वो खुदा मुझे सजा दे रहा है मै जिसको भी चाहती हूं वो मुझे उससे ही दूर कर रहा है,,
सब कुछ तो छीन चुका है अब बस मैने आपकी यादों का मंजर खुद में समेटा है,, अगर किसी ने उसको छीनने कि कोशिश करी मां तो तेरी ये
मुस्कान जी ना पाएगी,, टूट तो पहले ही चुकी है अब बिखर भी जाएगी,,
मां मै चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हो जाऊं पर तेरी याद तो मुझे हर पल
बहुत सताएगी,,
चल रोक लेओगी किसी तरह मै अपने
आंसू, पर फिर भी इन आंखो में एक नमी सी रह जाएगी,,
मां सब कुछ पाकर भी मेरी जिंदगी में बिन तेरे एक कमी सी रह जाएगी,,
मां तेरी याद मुझे बहुत रुलाएगी ,,
मां अब तक जो बात मैने सब से छुपाई थी,, आज पेहली बार सबके सामने बयां कर रही हूं ,, आज मैं अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा सच कह रही हूं,,
हां दर्द मुझे भी होता है मै भी रोती हूं
अब चिलाया नहीं करती खामोश रहकर ही दर्द सहा करती हूं,,
अंधेरा भी अब मुझे अच्छा लगने लगा
डर तो मुझे अब उजाले से लगने लगा है,,
दो पल का ये उजाला फिर अंधेरी रात है जिंदगी मेरी ,, हर दिन एक नए दर्द का आगाज है जिंदगी ,,
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