...

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कुछ को दिल से खेलना आ गया
कुछ लोग खेलते हैं खिलौने से..
कुछ को दिल से खेलना आ गया...
और हम भटकते भटकते जा पहुचे उस मोड़ पर..
जहा से हमें अकेले जीना आ गया....

किसी से मांग ली माफ़ी हमने
और किसी को माफ कर दिया
जिंदगी जीने का यही तरीका है
ये मुझे साफ दिख गया...
बैठा था एक रात कमरे के अँधेरे मे
आंखे खुली तो बाहर सुनहरा सवेरा था
और जो जिंदगी जी रहे थे हम
वो हमें न ग्वारा था..
सोचा निकल पड़ते हैं एक और सफर पर
कहीं ना रुकने का जो खुद से किया वादा था
फिर आया यू कोई और रोक दिया मेरा वो रास्ता
जिस रास्ते की ना कोई मंजिल थी और ना कोई ठिकाना था...
फिर लगा हमें क्या सोच रहे थे हम अब तक
जिंदगी का सफर तो काफी सुहाना था
हो गए थे हम एक से दो अब
और बचा अब बस बसाना अपना आशियाना था
पर कहते हैं ना सच्ची मोहब्बत कभी पूरी नहीं होती किसी की
और मेरे खुदा का तो मुझे देना एक और नजराना था
छिन लिया मुझसे फिर से वो साथ तेरा
और अब क्या कहे हम
यही हमारी जिंदगी का तराना था...
लिखेंगे फिर एक दिन कुछ और
जब होगी कोई बात
जब मिल जाएंगे इन हाथों में फिर किसी अंजान के हाथ ।

© Mγѕτєяιουѕ ᴡʀɪᴛᴇR✍️