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विजय नगर
"लुई अब मुह छुपा रहा है। उसका एक ही मकसद रह गया है कि वो या तो कहीं गर्द में मुह देकर मर जाए या फिर संकेत ।"

कसीदा आमीन:- ये क्या किया लुई? अगर यही करना था तो मुझे फैकल्टी क्यों बुलाया? स्पिक-मके पे मैं पहुंची और पता चला कि तुम विजय नगर गए हो रूम पे यलगार मचाने के लिए।

लुई :- संकेत वो आदमी जो ये कह कर अपना रुतबा जमाता है कि, "हम तो बेवकूफ बनाने की फैक्ट्री हैं, किसी का भी काट देंगे", और तुमने उसी की बातों में आकर, lsd की लालसा में, किसी तीसरे के पैसे को यार की रखैल बनवा के उड़वा दिया। आत्मा मेरी भो थोड़ी काली थी, मैं भी मान गया, और अंदर ही अंदर घुटता रहा। कब तक खुद से झूठ बोलती रहोगी? क्या करे अब? समझ नहीं आ रहा है।

ये जानते हुए भी की प्राइमरी गलती कसीदा की है। जो जानती है कि संकेत सेफ ऑप्शन नहीं है मगर फिर भी... लुई इसमें कुछ कर भी नही सकता था क्योंकि डील वही करवा रही है। लुई का ट्रस्ट करना...