ईश्वर हर रूप में है
उस दिन सबेरे 6 बजे मैं अपने शहर से दूसरे शहर जाने के लिए निकली, मैं रेलवे स्टेशन पहुंची , पर देरी से पहुचने कारण मेरी ट्रेन निकल चुकी थी,
मेरे पास 9.30 की ट्रेन के आलावा कोई चारा नही था,
मैंने सोचा कही नाश्ता कर लिया जाए, बहुत जोर की भूख लगी थी मैं होटल की ओर जा रही थी।
अचानक रास्ते में मेरी नजर फुटपाथ पर बैठे दो बच्चों पर पड़ी, दोनों लगभग 10-12 साल के रहे होंगे बच्चों की हालत बहुत खराब हो चुकी थी।
कमजोरी के कारण अस्थिपिंजर साफ दिखाई दे रहे थे, वे भूखे लग रहे थे।
छोटा बच्चा बड़े को खाने के बारे में कह रहा था, बड़ा उसे चुप कराने की कोशिश कर रहा था, मैं अचानक रुक गई दौड़ती भागती जिंदगी में पैर ठहर से गये।
उनको को देख...
मेरे पास 9.30 की ट्रेन के आलावा कोई चारा नही था,
मैंने सोचा कही नाश्ता कर लिया जाए, बहुत जोर की भूख लगी थी मैं होटल की ओर जा रही थी।
अचानक रास्ते में मेरी नजर फुटपाथ पर बैठे दो बच्चों पर पड़ी, दोनों लगभग 10-12 साल के रहे होंगे बच्चों की हालत बहुत खराब हो चुकी थी।
कमजोरी के कारण अस्थिपिंजर साफ दिखाई दे रहे थे, वे भूखे लग रहे थे।
छोटा बच्चा बड़े को खाने के बारे में कह रहा था, बड़ा उसे चुप कराने की कोशिश कर रहा था, मैं अचानक रुक गई दौड़ती भागती जिंदगी में पैर ठहर से गये।
उनको को देख...