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Love
मैंने अक़्सर लोगों को ये कहते सुना है कि प्रेम एक मिथ्या है और ऐसा दावा वो इसलिए करते हैं क्योंकि उनका प्रेम असफ़ल हो जाता है या और भी कई कारण हो सकते हैं.. परंतु जब आप ईश्वर की साधना करते हैं और किसी कारणवश वो पूर्ण न हो पाए या असफल हो जाए तो क्या आप ईश्वर के होने पर संदेह करने लगते हैं? क्या आपका उनके अस्तित्व से विश्वास उठ जाता है? नहीं न... उसी प्रकार यदि आपका प्रेम किसी कारणवश असफ़ल हुआ या आपके हृदय को चोट पहुंची है तो इसका ये अर्थ कदापि नहीं है कि आपका प्रेम पर से विश्वास उठ जाए और आप उसे मात्र मिथ्या मानने लगें.. बस आवश्यकता है तो धैर्य रखने की और अपने अंदर के प्रेम को जीवित रखने की और एक समय आएगा जब आपका प्रेम पूर्ण होगा...प्रेम ईश्वर की साधना करने जैसा है जिसमें आप पूर्णरूप से अपने आप को समर्पित कर देते हैं...प्रेम का पूर्ण न होना यह सिद्ध नहीं करता कि प्रेम मिथ्या है, जैसे साधना सफ़ल न होने पर ईश्वर के अस्तित्व को नकारा नहीं जा सकता...!!