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रॉन्ग नंबर रोंग ही थी
#रॉन्गनंबर
बड़ी ज़ोर की बारिश हो रही थी। आसमान में बिजली कड़कड़ा रही थी पर घर पर बिजली गुल थी। तभी फोन की घंटी बजी और जीत ने रिसीवर उठा के कहा हैलो, कौन है? उधर से आवाज़ आई ओह, सॉरी, रॉन्ग नंबर, और फोन रख दिया गया। जीत को दो साल पहले की वो तूफानी रात याद आ गई। उस दिन भी तो..त
तूफानी रात थी, बारिश कि वजह से बाहर पानी बरस रही थी।
इतने में ट्रिंग ट्रिंग फोन कि घंटी बजी, रिसीवर पे हेलो कहा! वहा से कुछ आवाज आया ,पता नही सॉरी रॉन्ग नंबर, फिर भी एक मदद चाहिए।
कहिए क्या मदद कर सकता हूं आपकी?
मैं बारिश में रास्ता भूल चुकी हूं, कोई नंबर डायल करते आपका नंबर गलती से लग गया।
आप मेरी मदत कर सकते हो??
दिल धड़क रहा था, क्या❣️☀️क्या करू??
घबराए हुई आवाज को सुनकर मदत करने चला गया।
बरसते बारिश में भीगते हुए निकल पड़ा उसे ढूंढने, कुछ आहट थी मन में ।
थोड़ी दूर जाने पर देखा तो एक औरत छाता लेकर खड़ी थी, पूरी बदन भीगी हुई थी।
पास जाकर देखा ,और धीमी आवाज से कहा
आपने ही फोन किया था??
वो धीरे से मुड़कर देखा तो बदन कांपने लगी और मेरी बोलती बंद हुई😱😱
सिर्फ गेसुओ से ढकी हुई चेहरा था पर चहरा नहीं था😱😱
जमीन पर पैर टिके नहीं थे, दिल में सन्नाटे फैला, हाथों में नाखून खून से लतपत थे।
पैरों पे जोर दिया और एक ही सांस में। दौड़कर घर आ पहुंचा।
रांग नंबर रोंग नम्बर ही थी।

© SripadAlgudkar ಕಾವ್ಯಶ್ರೀ