...

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दास
हृदय आत्मा और शरीर के बीच वार्ता की कल्पना


क्या हुआ तुम्हे ?
होता तो पहले था
अब होना बंद होना बंद हो गया
क्या ?
एहसास
क्या हो गया तुम्हें इतना बदलाव कैसे ?
आत्मा तुम समझाती थी की हर पल जियो involve मत हो उसमे मुझे लगता था असंभव है ये काम तो

ये सुनकर हृदय बोल पड़ा
क्या बात हो गयी सूरज पूरब से ही निकला था आज
एहसास तो होना ही था जिन्हें अपना समझा वो पैसे को अपना मानते थे फिर यूट्यूब वीडियोस देख देखकर एहसास होने लगा
की अपना पराया कुछ नहीं होता

नहीं तुम अब भी संशय मे लगते
आत्मा ने कहा मान लो मैं वस्त्र हूं मृत्यु के पश्चात
जो शरीर मिलेगा नए वस्त्र होंगे
ये सिलसिला चलता रहता

शरीर अब एकदम शांत होकर सुनने लगा
तुम्हारी बात सही है ये सिलसिला रुकता नहीं
पर शरीर मे रहते हुए खुद को एक कहते ये अर्ध सत्य है
जब खुद के अंदर मन की आंखो से झांका हो
तो एहसास होता अलग कुछ नहीं बस खुद को जानना होता है उसके बाद उन्हें जानना होता है जिन्होंने जग मे भेजा अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए उन्हें याद करना

आत्मा और हृदय एक साथ बोले
अब तुम्हें बात समझ आयी
स्थाई कुछ नहीं खुश रहो भगवान को याद करो ।


समाप्त
21/6/2024
10:57 रात्रि

© ©मैं और मेरे अहसास