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come again another day
।।एक खत मेरे चाहने वालों के लिए।।

सही और गलत का फैसला कौन करे यहां?
मैं सही हूं मेरी नजर मे, तुम तुम्हारी नजर के नायक हो।
मेरे भावनाओं के समर्थक भी हैं यहां और तुम्हारी सोच के कद्रदान भी।
हो सकता है मैं जो देखती हूं तुम्हे नजर ही ना आए, और तुम्हे जो मुझमें कमी लगती है वो मैं समझ ही ना पाऊं। लड़ाई अपनी अपनी है यहां हम सबकी, कुछ दूसरों से लड़ रहे हैं कुछ अपने आप से।
मैं तो अपने आप से लड़ने वालों में से हूं। मेरे दिल की आवाज़ लगातार मुझे जो राह बताएं जा रही है, ना जानूं वो दूसरों के लिए कितना सही है लेकिन शायद मैं ना चलूं उस राह तो अपाहीज़ हो जाऊं। पग से भी और मन से भी।
कई उलझनों के जाल ऐसे होते हैं जिनसे आप निकल ही नहीं सकते। और मुझे पूरा विश्वास है कि हर किसी की ज़िंदगी में ऐसी कोई न कोई उलझन जरूर है जो उसे किसी न किसी मोड़ पर कमजोर जरूर बनाती है।
आप उस वक्त कैसी लड़ाई लड़ रहे हो खुद से ये शायद कोई और कल्पना भी नहीं कर सकता।
हम तो बस वहां फैसले सुनाने आयेंगे। अगर आपकी सोच हमारी सोच से मिलती हो तो आप सही और न मिलती हो तो गलत।
हम सब यहां दूसरों के लिए फैसले और अपने लिए वकालत करने जानते हैं।
कभी तुम्हे गलत कहने और कभी खुद गलत बनने की प्रक्रिया में ज़िंदगी गुज़र रही है बस।
@rchn@