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काला साया:- निखिल ठाकुर
#WritcoStoryPrompt47
काला साया:- निखिल ठाकुर
दुनिया में आत्माओं और भुत प्रेत से संबंधित अनेक रहस्यमय तथ्यों का वर्णन हमें सुनने और पढ़ने को मिलते है...जिन पर आज के समय में विश्वास करना बेहद ही मुश्किल सा हो जाता है ...क्योंकि ये अप्राकृतिक घटनायें आम व्यक्ति और विग्यान की सोच से परे होती है जिन पर सरलता से विश्वास करना असंभव सा होता है और मेरी आज की कहानी ही ऐसी ही एक अविश्वसनिय है जो अपने आपमें दहशत और दिल को दहला देने वाली है तो पाठकों शुरू करता हूं मैं इस कहानी को
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तांत्रिक घोरनाथ अपनी मंत्र साधना को पूर्ण करने लिए अपने निवास स्थान महापीठ श्मशान में अमरता को प्राप्त करने के लिए सुहाना की बलि देने के लिए उसे महापीठ श्मशान में लेकर आता है और फिर इस अमावस्या की घनघोर काली रात को सुहाना की बलि देकर वो आज १०१ बलि को पूर्ण करेगा और अमरता की प्राप्ति से वह बस सात कदम दूर रहेगा क्योंकि कुल १०८ बलि देने के पश्चात वो महा मकरदेव को प्रसन्न करके के अमरता को प्राप्त कर लेगा और बेहद ही शक्तिशाली तांत्रिक बन जायेगा।
घोरनाथ पूजा की सामग्री तैयार करके सुहाना को बलि स्थान पर बांधकर उसकी गर्दन को बलि के फाटक पर झुकाकर उसके हांथों को बांध देता है और मंत्रोच्चरण करते हुये सुहाना का अभिषेक करने लगता है सुहाना जोर जोर से रो रही थी और अपनी मदद के लिए चिल्लाने लगती है और तांत्रिक घोरनाथ से रोते और सिसकते हुये कहती है कि मुझे छोड़ दो ...सुहाना के रोने और बोलने का तांत्रिक घोरनाथ के ऊपर कोई असर नहीं पढ़ रहा था...तांत्रिक घोरनाथ सुहाना की तरफ अपनी लाल लाल आँखों से देखते हुये घोर वाणी के साथ कहता है कि आज तेरी बलि देकर मैं अमर होने के ओर करीब हो जाऊंगा ...तू ये मुण्ड देख रही है ये सभी तेरे ही मुण्ड है आज तक सौ बार तेरी बलि दे चुका हूं ...कई जन्मों से ही मैं तेरी बलि देकर महा मकरदेव को प्रसन्न कर रहा हूं बस आज के बाद कुल सात बलि और शेष रहेगी फिर तो मैं अमर हो जाऊंगा।ये सब कहते हुये तांत्रिक घोरनाथ अपने हाथों में खडग को लेता है और कहता है हे महामकरदेव ..शैतानों के मालिक मेरी इस बलि को स्वीकार करो और मुझे अमरता को प्रदान करो ..सुहाना अपने हाथों को रस्सी को छुडाने के लिए बहुत प्रयत्न करती है तभी कोई अदृश्य शक्ति सुहाना की मदद करती है और उसके हाथों को रस्सी से मुक्त कर देती है तांत्रिक घोरनाथ के खड्ग के प्रहार से बच जाती है और जल्दी से सुहाना अपनी बायीं तरफ रखी त्रिशुल को उठा लेती है और जैसे ही तांत्रिक घोरनाथ सुहाना की तरफ मुड़ता है तो सुहाना उसके पेट पर त्रिशुल से प्रहार कर देती है जिससे तांत्रिक घोरनाथ जख्मी होकर जमीन पर गिर जाता है और मौत की अंतिम सांस लेने लगता है और मरते वक्त तांत्रिक घोरनाथ बोलता है मैं तुझे हर जन्म में ढुंढकर तेरी बलि दूंगा जबतक मुझे अमरता का वरदान नहीं मिल जाता है और तब तक मैं काले साया की तरह तेरा पीछा करता रहूंगा।ये सब बोलकर तांत्रिक घोरनाथ मृत्यु को प्राप्त हो जाता है और सुहाना जैसे तैसे वहां से भाग कर अपने घर लौट आती है परंतु इस घटना के बाद सुहाना के दिमाग पर गहरा असर कर दिया था और वह पहले जैसे जीवन व्यतीत नहीं कर पा रही थी और हर समय वह डरती रहती और मुंह से कुछ बुदबुदाने लगती ..कि व...व..वो आयेगा ....मुझे मार डालेगा इस तरह से बुदबुदाती रहती थी ...और रात को उसे नींद बेहद ही डरावने सपने भी आने लगते थे इसी तरह कुछ समय चलता रहा और कुछ समय के बाद सुहाना की मृत्यु हो गई और तांत्रिक घोरनाथ की दहशत व डर माधोपुर गाँव से मानो खत्म सा हो गया ...पर किसे पता था कि तांत्रिक घोरनाथ अब मरकर प्रेतात्म बन गया है और बहुत ही शक्तिशाली हो गया है। माधोपुर गाँव के लोग घने जंगलों की पहाड़ी के महापीठ श्मशान की तरफ कभी भी नहीं जाते थे क्योंकि उन जंगलों और उस श्मशान में आज भी तांत्रिक घोरनाथ की प्रेतात्म निवास करती है और जो भी व्यक्ति उस घने जंगल या श्मशान में जाता है तो वो कभी वापिस ही नहीं आता है ...एक बार फिर से तांत्रिक घोरनाथ की दहशत माधोपुर गाँव के लोग के दिल और मन में घर कर गई।
क्रमश:- ...... To be contineued .......
© Nikhilthakur