ये मोह मोह के धागे
She - hello.....
He- hello......
She - कैसे हो?
He- ठीक हूं।
She- घर में सब कैसे हैं ?
He - सब अच्छे हैं। तुम बताओ,तुम ठीक हो ना???
She- ..................( लम्बी उदास सी चुप्पी )
He- क्या हुआ? तुम ठीक तो हो ना????
She - हां, मैं ठीक हूं, मुझे क्या हुआ है??
He- बहुत दिनों बाद तुम्हें मेरी याद आई। मुझे तो लगा अब तुम कभी फ़ोन नहीं करोगी।
She- याद का क्या है.... अब कुछ भी याद नहीं रहता मुझे। पहले लोगों के नाम, चेहरे, पता भूलती थी , अब खुद की कही हुई बातें ही भूल जाती हूं। ये भूलने की बीमारी भी कितनी अच्छी है ना ...... इंसान दुखी होने की वजह ही भूल जाता है।
He- तो .... मुझे भूलने की कोशिश चल रही है। कहां तक कामयाब हुई इस कोशिश में?
She - अब बस...
He- hello......
She - कैसे हो?
He- ठीक हूं।
She- घर में सब कैसे हैं ?
He - सब अच्छे हैं। तुम बताओ,तुम ठीक हो ना???
She- ..................( लम्बी उदास सी चुप्पी )
He- क्या हुआ? तुम ठीक तो हो ना????
She - हां, मैं ठीक हूं, मुझे क्या हुआ है??
He- बहुत दिनों बाद तुम्हें मेरी याद आई। मुझे तो लगा अब तुम कभी फ़ोन नहीं करोगी।
She- याद का क्या है.... अब कुछ भी याद नहीं रहता मुझे। पहले लोगों के नाम, चेहरे, पता भूलती थी , अब खुद की कही हुई बातें ही भूल जाती हूं। ये भूलने की बीमारी भी कितनी अच्छी है ना ...... इंसान दुखी होने की वजह ही भूल जाता है।
He- तो .... मुझे भूलने की कोशिश चल रही है। कहां तक कामयाब हुई इस कोशिश में?
She - अब बस...