" तन्हाई "
कायनात में खुशियां छाई है
बस दिल के आंगन में तन्हाई है
क्या तुम मेहबूबा हो जो मुझसे मिलने आती हो
दिलों दिमाग में हर पल छाई रहती हो,
बेशक तुम लगती हो चंचल सोक हसीना
संग है तेरे अब तो मरना जीना
कहीं गमज़दा कहीं सुरभित शहनाई है
देख...
बस दिल के आंगन में तन्हाई है
क्या तुम मेहबूबा हो जो मुझसे मिलने आती हो
दिलों दिमाग में हर पल छाई रहती हो,
बेशक तुम लगती हो चंचल सोक हसीना
संग है तेरे अब तो मरना जीना
कहीं गमज़दा कहीं सुरभित शहनाई है
देख...