बंजारन की डायरी
कई बार ऐसा होता है ना की बहुत से लोग जीवन में मिलते हैं और ऐसे मिलते हैं की जैसे किसी जन्म के बिछड़े सच्चे दोस्त या सगे हों।
और फिर अचानक से गायब ऐसे होते हैं की उनके होने तक को नकार जाता है आपका जीवन।
पिछले कुछ महीनों से ऐसे बहुत से लोग जुड़े हैं, और और वो अपना कहलाने को इतना तत्पर होते हैं जैसे की बहुत सदी के इंतजार के बाद किसी जमी पर बूंदों के छीटें पड़ीं हो।
पर...