...

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स्त्री तुम ही तो हो(जग सृजनकार)
हे स्त्री! तुम इस जग को सदैव समझने वाली हो,
तुम ही तो इस जग के पालनहार हो।

हे स्त्री! तुम ही हो जो हमेशा किसी को दुःख नहीं देती हो,
तुम प्रेम हो, आस्था हो, विश्वास हो,
हे स्त्री! तुम्हीं तो टूंटी हुई उम्मीदों की आस हो।
हर जीव की तुम तुम्हीं तो आधार हो,
इस नफरत भरी दुनिया में... तुम प्रेम के सार हो।
हे स्त्री! तुम्हीं तो हो जो अपनो के लिए अपने भूख की त्याग कर देती हो,
अपनो के लिए अपने स्वप्न को मार देती हो।

हे स्त्री! तुम ही सबला, सृष्टि भी तुम हो, सृजन भी तुम हो, प्राणदायिनी स्नेही वात्सला तुम ही हो।
आदि भी तुम हो, अनादि भी तुम हो और अनेक स्वरूपा तुम ही हो।

तुम्हीं दूर्गा, तुम्हीं काली और तुम्हीं ही आदिशक्ति हो,
तुम्हारे ममत्व के आगे सारा संसार झुकाता है।

हे देवी! आप शक्ति साक्षात रूप हो!
हे देवी! आपकी सदा जय हो।
😊🙏🙇
_ ऋषिकेश तिवारी