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रिश्तों का महत्व
जब व्यक्ति जन्म लेता है, तब ही किसी न किसी रिश्तों में बंध जाता है और उसी रिश्तों के सहारे अपनी जिंदगी गुजारता है ,पर कुछ रिश्ते जन्म से तय नहीं होते वो आपके चुनाव पर निर्भर करता है।हाँ आप मेरे इस बात से सहमत नहीं भी हो सकते हैं क्योंकि आप में से बहुत का मानना है।रिश्ते ईश्वर द्वारा तय होता है पर मेरा विचार आपसे भिन्न है इस मामले में मेरे समझ से आप खुद तय करते है। आपका दोस्त कैसा हो अपनी अवधारणा के अनुसार ही इसका चुनाव होता है,कई बार आप इस बात से अवगत नहीं होते और किसी खास व्यक्ति के प्रति आपका झुकाव बढ़ता चला जाता है।वो आपके जीवन में इस तरह शामिल हो जाता है की बाद में आपको लगता है आप उसके बिना अधूरा महसूस करने लगते है ,कुछ ऐसा ही मेरा अनुभव रहा है पर मेरे साथ परिस्थिति मेरे अनुकूल ना थी मैं एक सामान्य परिवार में जन्मा एक साधारण बालक था, परन्तु कुछ ख़ास बात मुझे मेरे उम्र के बच्चों से अलग करती थी वो था मेरा ठहराव मैं शुरू से ही किसी चीज को गहन रूप से सोचने का आदि रहा हूँ। मेरा रिश्तों को लेकर बचपन से एक ही ख्याल रहा है रिश्ते मेरे लिए दिल का जुड़ाव है।एक बार कोई मेरे दिल में बस गया तो मैं उसके एहसास को हमेंशा अपने दिल में रहता था पर मुझे लगता है ।मेरे जैसे विचार रखने वाले शायद ही होंगे या होंगे भी तो मेरा उसके साथ मुलाकात नहीं हुआ अभी तक मेरे जीवन में कई ऐसे रिश्ते आए जिसको मैं अपनी अवधारणा के अनुसार ही महत्व देता था। परन्तु आप जब किसी से जुड़ते है तो उसको लेकर आपकी आशाएँ बढ़ जाती है शायद यही मेरी गलती रही मैं उम्मीद ही ज्यादा लगा बैठता...
© sushant kushwaha