...

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Mera drd
मेरा दर्द है क्या
चेहरे पे हँसी
दर्द इसमे भी छुपा

कौन समझेगा यहां
मेरा दर्द है क्या…..

गिरते नहीं है आँसू
बस इतना है जमीं पर
राज क्या है
ये मेरी घुटन में छुपा

कौन समझेगा यहां
मेरा दर्द है क्या…..

इंसान की कीमत
नही इस दौर में
पैसे की पहचान है
और पैसा ही खुदा

कौन समझेगा यहां
मेरा दर्द है क्या…..

हवाएं भी कभी कुछ थी
नदियां यहां जो बहती थी
पूछती थी हाल मेरा
आज उसमें भी जहर घुला

कौन समझेगा यहां
मेरा दर्द है क्या….

इंसान को सब मिल जाये
ये तो मुमकिन नहीं
अपना-अपना नसीब है
जो पहले से लिखा

कौन समझेगा यहां
मेरा दर्द है क्या…

कदमों से कहता रहा
रुक जाओ कही
मनमानी देखो इनकी
इन्होंने भी ना सुना

कौन समझेगा यहां
मेरा दर्द है क्या….

दोस्तों के दर्द का भी
एहसास था मुझे
जो साथ रहे हमेशा मेरे
मेरे दर्द का इनको भी
कभी पता ना चला

कौन समझेगा यहां
मेरा दर्द है क्या
चेहरे पे हँसी
दर्द इसमे भी छुपा

© writer satyam mishra