जिंदगी का सफर एक जज्बा part 2
वो कई बार गिरी
और खुद ही उठी है
वो एक अकेली लड़की
हौसलो से भरी है...
वो अपने ससुराल वालों के व्यवहार से तंग आ गई थी||उसके मायके वालों को भी उसके दुखों से कोई मतलब नहीं था||
शादी के एक साल गुजरने के बाद भी उससे कोई मिलने तक नहीं आया उसको समझते देर न लगी कि उसके पिता ने शादी नहीं बल्की उसका सौदा किया था||
राजश्री खुद को बहुत ही अकेला महसूस करती थी और अपने दर्द को किसी से नहीं कहती थी क्योंकि उसको पता था कि उसको कोई भी नहीं समझेगा!!
कई बार उसके दिल में मरने का भी ख्याल आया, लेकिन वो अपने जीवन में खुश रहना...
और खुद ही उठी है
वो एक अकेली लड़की
हौसलो से भरी है...
वो अपने ससुराल वालों के व्यवहार से तंग आ गई थी||उसके मायके वालों को भी उसके दुखों से कोई मतलब नहीं था||
शादी के एक साल गुजरने के बाद भी उससे कोई मिलने तक नहीं आया उसको समझते देर न लगी कि उसके पिता ने शादी नहीं बल्की उसका सौदा किया था||
राजश्री खुद को बहुत ही अकेला महसूस करती थी और अपने दर्द को किसी से नहीं कहती थी क्योंकि उसको पता था कि उसको कोई भी नहीं समझेगा!!
कई बार उसके दिल में मरने का भी ख्याल आया, लेकिन वो अपने जीवन में खुश रहना...