मोहब्बतें और भ्रम जाल(भाग4)
मुकेश जैसे ही घर पहुंचा और टेंशन में आ गया कि उसे अब क्या करना चाहिए। उसने मम्मी पापा की एक बात ना सुनी,छोटे भाई इंदर की कोई बात नहीं सुनी, कितने बुरे तरीके से बात करता,हर बात का जवाब बदतमीजी से देता था। जब व ट्रेनिंग से वापस आया था मम्मी पापा ने बताया था कि अनु कहीं चली गई है तो उसने उन्हें कहा था कि वह कहीं नहीं गई आप लोगों ने ही उसे कुछ कहा होगा। जो वह घर छोड़कर चली गई लेकिन आप लोग भी बस कान खोल कर सुन ले मैं अनु के अलावा अब किसी लड़की को अपने जीवन में आने नहीं दूंगा। इंदर से तो उसी दिन से बात करनी छोड़ दी थी जिस दिन उसने अन्नू की उसके साथ बुराई की थी। अब उसकी किसी बात का जवाब नहीं देता था और जब इंदर की शादी हुई थी और उसमें जाना ही नहीं चाहता था और मम्मी ने कितने कसम देकर शादी में बुलाया था और वह खुद भी ऐसे गया था जैसे वह किसी पड़ोसी के यहां आया हो बड़े भाई का कोई फर्ज नहीं निभाया। इंदर कितने लगाव से बात करता था और वह उसके साथ सर्द रवैया अपनाकर रखता था। और जब इंद्र का बेटा हुआ तो उसने तो उसे गोद में भी लेकर नहीं देखा था। आज उसका लड़का 4 साल का हो चुका है और आज भी उसका उसके साथ,उसके परिवार के साथ वही रवैया है जैसे वही उसका सबसे बड़ा दुश्मन हो। एक बार छोटी ने भी बस बताया था कि भाई अनु अच्छी लड़की नहीं है। आपने अपने लिए सही लड़की का चुनाव नहीं किया है और उसका किसी और लड़के के साथ अफेयर है। कितनी जोर से चिल्लाया था,छोटी पर तुम होती कौन हो मेरी जिंदगी में दखलअंदाजी करने वाली यह मेरा जीवन है,अनु चाहे वो अच्छी है या बुरी है पर मुझे पसंद है और तुम इस बीच में कुछ नहीं बोल सकते और वह दिन और आज का दिन उसने तो उसे राखी तक नहीं बना बंद वाई। अब कैसे वह उन सब से नजर मिलाएं गा वह तो उन सबके सामने खड़ा होकर कुछ कहने लायक भी नहीं रहा। शिखा उसका तो कोई कसूर ही नहीं था उसने उसके जीवन के 4 साल खराब कर दिए थे। घर में सब का कितना ख्याल रखती है। वह मम्मी का, पापा का, इंदर का, छोटी का,सबसे दिलो जान से चाहती है। वह कितना बुरा रवैया अपनाता है उसने तो आज तक शिखा के घर पर किसी से ढंग से बात भी नहीं की शिखा से कैसे सामना करेगा।
इस तरह की कितनी ही बातें सोच कर अपने पिछले रवैए के बारे में सोच सोच कर मुकेश को तो बुखार आ गया। वह तो किसी को फोन करके यह मैं नहीं कह सकता था,कि मेरी तबीयत खराब है। मुझसे मिलने आ जाओ,क्योंकि उसे लगता था कि वह सब उसके दुश्मन है और आज जब पता लगा भी उसके दुश्मन नहीं है उसकी असली दुश्मन तो अनु थी ऐसे में वह खुद से भी नजर नहीं मिला पा रहा था। तीन दिन लगातार बुखार में तड़पने के बाद जब वह सही हुआ तो उसने एक नए तरीके से सोचना शुरू करा। उसने सोच लिया था, घर जाकर सब से माफी मांगेगा ताकि जीवन में जो कुछ हो चुका है उसे सही कर सके। उसने अगले ही दिन का मेरठ का टिकट लिया। ऑफिस से 15 दिन की छुट्टी लेकर घर की तरफ चल दिया। आज घर जाते हुए पहली बार वह बहुत खुश था, क्योंकि आज अपने मन से घर जा रहा था मां के जबरदस्ती बुलाने पर नहीं। सुबह 6:00 बजे जब वह घर पहुंचा तो घर में अजीब से अफरा-तफरी मची हुई थी। घर पर सारे ही रिश्तेदारी थे,तो वह हैरान हो गया कि यहां क्या हो रहा है,तभी उसकी नजर सामने इंदर की वाइफ मंजू से बात करती शिखा पर पड़ी। शिखा किसी बात पर हंस रही थी हल्के गुलाबी रंग के सूट में थोड़े उलझे बालों के साथ वह इतनी सुंदर लग रही थी या वह सुंदर थी यह तो उसे नहीं पता पर उसे बहुत सुंदर लग रही थी,कि वह उस पर से कुछ समय के लिए अपनी नजर नहीं हट पाया।तभी मां इंदर के बेटे टिंकू को गोद में लेकर आ रही थी की वहां जोर से चिल्लाई देखो मुकेश आ गया है। मैं ना कहती थी,छोटी का रोका हो ओर मुकेश ना आए उसकी लाडली बहना वह वो तो जरूर आएगा तभी शिखा की नजर मुकेश पर गई और मुकेश उसे देख कर मुस्कुराया तो और शिखा ने नजर फेर ली। मुकेश मासी से बोला "आज छोटी का रोका है"
"हां लेकिन तुम्हारे पापा कह रहे थे कि तुम्हारी कोई मीटिंग है,इसलिए तुम नहीं आ पाओगे चलो अच्छा हुआ जो तुम आ गए ससुराल वाले क्या सोचते कि बड़ा भाई क्यों नहीं आया।"
मुकेश पापा से बात करने उनके कमरे में गया तो, वह किसी वकील से बात कर रहे थे। उसे देखकर वकील से बोले कि वकील साहब आप ये कागज तैयार करिए मैं आपसे फिर बात करता हूं। फिर उसे देखकर बोले तुम क्यों आए हो वह छोड़िए आपने पहले मुझे क्यों नहीं बताया क्या छुट्टी का रोका है देखो मुकेश अभी मैं कोई बहस नहीं करना चाहता जब तुम आ ही गए हो तो तैयार होकर हमारे साथ चलो बाकी बातें बाद में करेंगे
मुकेश शांति से कमरे में आ गया। वह जानता था,उसने इतने साल में जिस तरीके से व्यवहार किया है तो इतना गुस्सा तो पापा का हक बैठता है।वह कमरे में बैठकर शिखा का इंतजार करने लगा उसे लगा था। वह सोच रहा था किसी का उसके लिए चाय या पानी कुछ तो लेकर आएगी 30 मिनट हो गए थे,उसे कमरे में आए, पर शिखा अब तक नहीं आई थी। गुस्से में रसोई में गया तो शिखा रसोई में सबके लिए चाय बनाई थी। उसने शिखा को देखते ही कहां मेरे लिए चाय कमरे में ले आओ।शिखा पहले तो हैरानी फिर चुपचाप चाय लेकर कमरे में आ गई क्योंकि आज से पहले मुकेश ने कभी उसके हाथ से पानी भी लेकर नहीं पीया था और कहां आज उसे चाय लाने को कहा है ।जब वह कमरे में पहुंचे तो मुकेश ने दूसरा आर्डर दिया छोटी के रोका में पहनने के लिए मेरे कपड़े निकाल दो। शिखा तो बेहोश होने को थी।जिस व्यक्ति ने आज तक उसके हाथ से एक कागज का हिस्सा भी नहीं लिया।वह अपने कपड़े निकालने को कह रहा है।मुकेश नहाकर जब कमरे में आया तो शिखा को उसी तरह खड़ा पाया और वह समझ गया कि वह हैरान है।वह मुस्कुराता हुआ शिखा का चेहरा ऊपर कर के बोला मेरे कपड़े निकाल दो। शिखा ने अलमारी में से मम्मी के दिए दो जोड़ों में से एक जोड़ा मुकेश को दे दिया,क्योंकि आज छोटी के रोका में पापा मम्मी और भैया आने वाले थे।मम्मी अगर मुकेश इन कपड़ों में देखेगी तो खुश हो जाएगी और उनकी शिकायतें कम हो जाएगी।
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इस तरह की कितनी ही बातें सोच कर अपने पिछले रवैए के बारे में सोच सोच कर मुकेश को तो बुखार आ गया। वह तो किसी को फोन करके यह मैं नहीं कह सकता था,कि मेरी तबीयत खराब है। मुझसे मिलने आ जाओ,क्योंकि उसे लगता था कि वह सब उसके दुश्मन है और आज जब पता लगा भी उसके दुश्मन नहीं है उसकी असली दुश्मन तो अनु थी ऐसे में वह खुद से भी नजर नहीं मिला पा रहा था। तीन दिन लगातार बुखार में तड़पने के बाद जब वह सही हुआ तो उसने एक नए तरीके से सोचना शुरू करा। उसने सोच लिया था, घर जाकर सब से माफी मांगेगा ताकि जीवन में जो कुछ हो चुका है उसे सही कर सके। उसने अगले ही दिन का मेरठ का टिकट लिया। ऑफिस से 15 दिन की छुट्टी लेकर घर की तरफ चल दिया। आज घर जाते हुए पहली बार वह बहुत खुश था, क्योंकि आज अपने मन से घर जा रहा था मां के जबरदस्ती बुलाने पर नहीं। सुबह 6:00 बजे जब वह घर पहुंचा तो घर में अजीब से अफरा-तफरी मची हुई थी। घर पर सारे ही रिश्तेदारी थे,तो वह हैरान हो गया कि यहां क्या हो रहा है,तभी उसकी नजर सामने इंदर की वाइफ मंजू से बात करती शिखा पर पड़ी। शिखा किसी बात पर हंस रही थी हल्के गुलाबी रंग के सूट में थोड़े उलझे बालों के साथ वह इतनी सुंदर लग रही थी या वह सुंदर थी यह तो उसे नहीं पता पर उसे बहुत सुंदर लग रही थी,कि वह उस पर से कुछ समय के लिए अपनी नजर नहीं हट पाया।तभी मां इंदर के बेटे टिंकू को गोद में लेकर आ रही थी की वहां जोर से चिल्लाई देखो मुकेश आ गया है। मैं ना कहती थी,छोटी का रोका हो ओर मुकेश ना आए उसकी लाडली बहना वह वो तो जरूर आएगा तभी शिखा की नजर मुकेश पर गई और मुकेश उसे देख कर मुस्कुराया तो और शिखा ने नजर फेर ली। मुकेश मासी से बोला "आज छोटी का रोका है"
"हां लेकिन तुम्हारे पापा कह रहे थे कि तुम्हारी कोई मीटिंग है,इसलिए तुम नहीं आ पाओगे चलो अच्छा हुआ जो तुम आ गए ससुराल वाले क्या सोचते कि बड़ा भाई क्यों नहीं आया।"
मुकेश पापा से बात करने उनके कमरे में गया तो, वह किसी वकील से बात कर रहे थे। उसे देखकर वकील से बोले कि वकील साहब आप ये कागज तैयार करिए मैं आपसे फिर बात करता हूं। फिर उसे देखकर बोले तुम क्यों आए हो वह छोड़िए आपने पहले मुझे क्यों नहीं बताया क्या छुट्टी का रोका है देखो मुकेश अभी मैं कोई बहस नहीं करना चाहता जब तुम आ ही गए हो तो तैयार होकर हमारे साथ चलो बाकी बातें बाद में करेंगे
मुकेश शांति से कमरे में आ गया। वह जानता था,उसने इतने साल में जिस तरीके से व्यवहार किया है तो इतना गुस्सा तो पापा का हक बैठता है।वह कमरे में बैठकर शिखा का इंतजार करने लगा उसे लगा था। वह सोच रहा था किसी का उसके लिए चाय या पानी कुछ तो लेकर आएगी 30 मिनट हो गए थे,उसे कमरे में आए, पर शिखा अब तक नहीं आई थी। गुस्से में रसोई में गया तो शिखा रसोई में सबके लिए चाय बनाई थी। उसने शिखा को देखते ही कहां मेरे लिए चाय कमरे में ले आओ।शिखा पहले तो हैरानी फिर चुपचाप चाय लेकर कमरे में आ गई क्योंकि आज से पहले मुकेश ने कभी उसके हाथ से पानी भी लेकर नहीं पीया था और कहां आज उसे चाय लाने को कहा है ।जब वह कमरे में पहुंचे तो मुकेश ने दूसरा आर्डर दिया छोटी के रोका में पहनने के लिए मेरे कपड़े निकाल दो। शिखा तो बेहोश होने को थी।जिस व्यक्ति ने आज तक उसके हाथ से एक कागज का हिस्सा भी नहीं लिया।वह अपने कपड़े निकालने को कह रहा है।मुकेश नहाकर जब कमरे में आया तो शिखा को उसी तरह खड़ा पाया और वह समझ गया कि वह हैरान है।वह मुस्कुराता हुआ शिखा का चेहरा ऊपर कर के बोला मेरे कपड़े निकाल दो। शिखा ने अलमारी में से मम्मी के दिए दो जोड़ों में से एक जोड़ा मुकेश को दे दिया,क्योंकि आज छोटी के रोका में पापा मम्मी और भैया आने वाले थे।मम्मी अगर मुकेश इन कपड़ों में देखेगी तो खुश हो जाएगी और उनकी शिकायतें कम हो जाएगी।
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