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चिट्ठी... " कानों में झुमका,होंठो पर लाली...और कितनी प्यारी हैं मुस्कान तुम्हारी..."
#चिट्ठी
...
लाइब्रेरी में बैठी हुई आरूषि क़िताब के पन्ने पलट रही थी, और बेसब्री से उसकी सहेली के आने इंतज़ार कर रही थी।
जब से उसकी सहेली का कॉल आया था,
और उसने उसे लाइब्रेरी में बुलाया था।
ये बोल कर की उसको उस चिट्ठी के बारे में,
कुछ पता चला है ।
तब से आरूषि बेचैन थी।
मन ही मन सोच कर ऐसा क्या है चिट्ठी में,
जो मुझे लाइब्रेरी में अचानक बुलाया हैं।
इस टेंशन में आरूषि दिल जोर से,
धड़कने लगता हैं और उसको चिंतीत कर देता हैं।
तभी अचानक लाइब्रेरी में,
किसी के आने की आहट सुनाई देती हैं।
उधर आरूषि के दिल की धड़कन बढ़ जाती हैं।
लाइब्रेरी में बिल्कुल सन्नाटा था,
सब बच्चे लंच करने निकल गये थे।
आरूषि की सहेली पिछे से आकर
उसको हाथ लगाती हैं।
आरूषि अचानक से डर जाती हैं।
फिर हिम्मत करके सहेली से बोलतीं हैं।
क्या हुआ? जो अचानक से फोन करके बुलाया।
और चिट्ठी के बारे में बोलती हैं।
कौनसी चिट्ठी? और क्या पता चला है।
उसकी सहेली बोलती हैं, मुझे पता चला है
आपको कोई पसंद करता हैं शायद।
कल कोई आया था आपसे मिलने कालेज।
हाथों में लेकर गुलाब और पूछ रहा था
सिर्फ तुम्हारे बारे मैं मिलना चाहता था।
लेकिन आप कल आई नहीं थी कालेज।
वहीं रखकर गुलाब और चिट्ठी।
चला जाता हैं वो अजनबी।
उसकी सहेली आती है क्लास लगा कर।
नज़र पड़ती हैं उसकी वहीं साईड में रखे,
गुलाब और चिट्ठी पर...
जिस पर लिखा था.. डियर आरूषि...
और निचे लिखी थी दो लाइन्स...
" कानों में झुमका,
होंठो पर लाली...
और कितनी प्यारी हैं
मुस्कान तुम्हारी..."

और साईड में कुछ लिखा था।
बुला कर मिलने खुद हो गए कालेज से गायब।
जा रहें हैं वापिस हम यूंही आज,
दिल में मिलने की तमन्ना को दबा कर...।।