विषय-आखिरी साँस
जीवन का आरंभ हुआ,अंत भी इसका निश्चित हैं।
श्वास आखिरी हो या पहली,कर्तव्य करना सुनिश्चित है।
ख्वाबों को दिशा दो अपनी,किस्मत को भी बदलो तुम।
उठो,चलो अब चलना सीखो,गिरो,उठो और संभलो तुम
डोर श्र्वास की टूट जाएगी,अपना जीवन जी लो तुम।
आखिरी श्वास आने के पहले,हर पल यह जीवन जी लो तुम
रोते रहने से जीवन में ,कभी नहीं कुछ मिलता है।
जीवन तो नित गतिमान है, निरंतर चलता रहता है।
जीवन एक पथ है दुर्गम,यह पथिक बदलता रहता है।
Name -✍🏻रिया दुबे ✍🏻
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