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अर्जुन
भाग -9
समय गुजरता गया और 13 साल बीत गए, देवनगरी पूरी तरह से तबाह हो चुकी थी। हर तरफ आग ही आग, सभी अपनी जान बचाकर भाग रहे थे । बड़े बड़े आग उगलने वाले राक्षस हवा मे घूम रहे थे। यह आग तेजी से राज महल की तरफ बढ़ रही थी। अवधेश अपनी पूरी सेना के साथ महल के आगे राक्षसी सेना के राजा से बात करके सभ कुछ सुलझाने के लिए खड़ा था।

अचानक से बिजली कड़क ने लगी , और सारा आसमान काले घने बादलों से भर गया। आसमान में दो बड़े से राक्षसों के आते ही खामोशी छा गई। जैसे ही रुद्रवीर काले लिबास में उड़ने वाले राक्षस से नीचे उतरा तो सभ के होश उड़ गए।

देवानंद ने दबी सी आवाज में कहा, रुद्रवीर।

सभ एक दूसरे के मुंह की तरफ देखने लगे...