...

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सुहाना सफर
वो दिन भी कितने खूबसूरत थे
योर कोट पर लिखना ,पढना
अच्छा लगता था मित्रो के कोट पर
कॉलोब करना ,लोगो से testimonial
पाना और देना कितना अच्छा लगता था ।
रात रात भर जागकर मित्रो के कोट को
सर्च करना और उस पर कॉमेंट करना ।
बहुत लोगो से ढेर सारा प्यार मिला ।
वो दिन आज भी सोचते है तो मन
रोमांच से भर जाता है।बहुत सी खट्टी मीठी
यादें जीवन को आनन्दित करती रहेगी ।
यहां का सफर भी सुहाना और मित्रवत
रहे ।गार्जियन की डांट भी लगती थी कि
जब देखो तब मोबाइल से चिपके रहते हो
पर उनकी डांट का कोई फर्क नही पड़ता था
मन अपने धुन में कोट लिखना ,कॉलोब करना
लगता था सारे जमाने की खुशियां दे रहा था
वहां बहुत मित्र मिले,बिछड़ भी गए ,कुछ
लोगो का साथ यहां मिला पर कॉलोब का ऑप्शन न होने के कारण कुछ कमी खलती है
मुझे व्यक्तिगत तौर पर कॉलोब करना अच्छा लगता था ।मेरी दो ID थी ,एक पर तो writing revoked हो गया और दूसरे का मेल ID भूल गया खैर यंहा का भी सफऱ सुहाना होगा ,इन्ही शुभकामनाओ के साथ
आपका एक अनजान सा साथी ।
जय हिंद।जय भारत।