मालिक क्या इतना प्यार करते हो? [संदेश]
नमस्कार!
मुझे पता था कि आप सर्फ करते यहां आ जाते और अगर आप आ गये तो मेरे संदेश को भी पढ़ ले यह मेरी विनती है। मैं वह हूं -जो किसी का पालतू ,दोस्त और गार्ड हूं । मेरा नाम शेरू, जैकी,पप्पू या किसी के लिए मैं आवारा कुत्ता हूं। पर मुझे पर्व नहीं कि दूसरे क्या कहते हैं मुझे तो मेरे मलिक से मतलब है-मेरे मलिक मुझे "टाइगर" नाम से बुलाते हैं और वह मुझे कितना प्यार करते हैं वह मैं शब्दों से बया नहीं कर सकता क्योंकि आप तो जानते हैं प्रेम एक अलग अहसास है (जो आज मेरा आपसे बन चुका है)।
जब मेरे जन्म हुए 4 दिन बिता तो मुझे मेरे मालिक ने मेरी मां से दूर कर दिया पर कोई बात नहीं क्योंकि मैं उनके प्यार से संतुष्ट हूं और मैं उन्हें माफ भी कर चुका हूं। अब मेरे आए हुए 1 सप्ताह बीत चुका है और मेरे मालिक का प्यार बढ़ता जा रहा है और मेरा उनकी तरफ। हम दोनों कितने करीब आ चुके हैं- एक दोस्त की तरह,भाई की तरह। आप जानते हैं एक बार मेरे मालिक मुझे अपने गोद पर रख बाजार लेकर गए थे और वहां मुझे अंडा खिलाया था और अपने दोस्त-करण और कुणाल को मेरे बारे में बता रहे थे और मैं इतना खुश था कि मेरी पूछ हर क्षण हिल रहीं थीं और मैं मालिक के चेहरे को देखा जा रहा था। और एक दिन मुझे याद आ रहा है । दोपहर के समय जब मेरे मालिक उदास बैठे थे तो मैं उन्हें फुसलाने लगा और वह हंसकर मुझे अपनी गोद पर बैठाकर मुझे लाड-प्यार देने लगे । कभी कभार मुझे दो पैर पर खड़ा कर चलाते तो कभी मुझे पार्क ले जाकर खूब दौड़ाते। मेरे मालिक कितना प्यार करते हैं।
पर
अब सब झूठा-सा लगता है- क्या वो दिन सपना था? क्या वह प्यार किसी अपने का था? क्योंकि इन 2 सालों के बाद मैं या मेरे मालिक बदल गए। मैं जिस घर में पहले रहता था अब वहां से हटकर पता नहीं कब सड़क पर आ गया। जब किसी दूसरे कुत्तों से मैं भिड़ने जाता तो मालिक उन्हें पत्थर मार भगा देते थे। जब मैं दूसरे के जूठन को खाने जाता तो मेरे मालिक पटा खींच वहां से हटाते पर अब उन्हीं जूठन के सहारे पेट भरता है। पहले जिन कुत्तों को अजनबी, दुश्मन और गंदे नालों वाला समझता था आज मैं देखो न उन लोगों में शामिल हो गया हूं। शायद कुछ कारण रहा होगा कि मेरे मालिक मुझे छोड़ गए। पर हर रात में अभी भी उन्हें कोचिंग से वापस आकर देख अच्छा लगता है। पर अब उनके पास जाता हूं तो लात का प्रसाद मिलता है और मैं सहमा हुआ भाग जाता हूं। कोई बात नहीं कोई कारण रहा होगा कि मेरे मालिक मुझे छोड़ गये।
शायद कारण ये होगा-
"मेरे मालिक मुझे हर क्षण छूते रहते जिस कारण मेरे बाल [जो शायद मेरी सुंदरता थी] वो झड़ गई। अब मुझे नहाना बंद कर दिया गया है , समय पर टीकाकरण बंद हो गया है, जानते हो मुझे फोड़े होने लग गए हैं, शरीर में कुछ मांस ना रहा केवल हड्डी झलकता है अब बहुत दर्द होता है ,पाठको!।"
वाकई, दुनिया के मालिक(मनुष्य) बदल गए हैं। पहले उनके शरण में था तो कितना प्रेम था। पर वक्त और समय का भाव उल्टा हो जाएगा यह नहीं जानता था और चाहता हूं। मैं तो शायद खिलौना था। हां! बस एक फरक था- खिलौना मरे होते थे, पर मैं तो जिंदा लाश था ना-मालिक! जानते हो पाठको मेरे जैसे कई कुत्ते आपकी सेवा करते हैं। मिलिट्री में मेरे भी भाई हैं- उनके भौंकने के गर्जन को मैं भी महसूस करता हूं। आतंकियों,बॉम्ब को खोजने में मेरे भाई सबसे पहले आगे रहे हैं उन्हें ना भूलना पाठकों {यह विनती है मेरी}।
अब आंखें नम हो रही हैं आंसु आंखे को ढकने के कगार पर है। पर यह तो स्वाभाविक है कि जब मन हल्का हो तो अश्रु निकल जाते हैं।
आज, मैं यूं ही गलियों में भटकता,
कभी ठिठुरन में मरता हूं,
कभी सड़क पर ठोकर खाते बचता हूं ,
मैं कुत्ता हूं न,
मैं अब हर दिन मरता हूं।
●○●
दोस्तों!
मैं आशा करता हूं कि आप बस इसे शब्दों का प्रवाह ना समझे यह संदेश जीवंत है। इस संदेश में दर्द है जो हमारे पालतू जानवर सहते हैं। और आज हमारे जैसे कलम के सिपाहियों को जागना होगा और संसार को उचित मार्ग दिखाना पड़ेगा। मुझे इस बात का आश्वासन है कि-इस "कलम के संसार" में हर कलाकार इंसानियत से पोषित है। पर इस संसार से बाहर एक और संसार है जहां के लोग अंधे हो चुके हैं। तो चलिए कलम के सिपाहियों उस संसार के लोगों के इंसानियत को जगाएं और मैं आशा करता हूं कि आप इस संदेश को हर लोगों तक पहुंचाएंगे।
"सिपाहियों अब बढ़ो"
© श्रीहरि
मुझे पता था कि आप सर्फ करते यहां आ जाते और अगर आप आ गये तो मेरे संदेश को भी पढ़ ले यह मेरी विनती है। मैं वह हूं -जो किसी का पालतू ,दोस्त और गार्ड हूं । मेरा नाम शेरू, जैकी,पप्पू या किसी के लिए मैं आवारा कुत्ता हूं। पर मुझे पर्व नहीं कि दूसरे क्या कहते हैं मुझे तो मेरे मलिक से मतलब है-मेरे मलिक मुझे "टाइगर" नाम से बुलाते हैं और वह मुझे कितना प्यार करते हैं वह मैं शब्दों से बया नहीं कर सकता क्योंकि आप तो जानते हैं प्रेम एक अलग अहसास है (जो आज मेरा आपसे बन चुका है)।
जब मेरे जन्म हुए 4 दिन बिता तो मुझे मेरे मालिक ने मेरी मां से दूर कर दिया पर कोई बात नहीं क्योंकि मैं उनके प्यार से संतुष्ट हूं और मैं उन्हें माफ भी कर चुका हूं। अब मेरे आए हुए 1 सप्ताह बीत चुका है और मेरे मालिक का प्यार बढ़ता जा रहा है और मेरा उनकी तरफ। हम दोनों कितने करीब आ चुके हैं- एक दोस्त की तरह,भाई की तरह। आप जानते हैं एक बार मेरे मालिक मुझे अपने गोद पर रख बाजार लेकर गए थे और वहां मुझे अंडा खिलाया था और अपने दोस्त-करण और कुणाल को मेरे बारे में बता रहे थे और मैं इतना खुश था कि मेरी पूछ हर क्षण हिल रहीं थीं और मैं मालिक के चेहरे को देखा जा रहा था। और एक दिन मुझे याद आ रहा है । दोपहर के समय जब मेरे मालिक उदास बैठे थे तो मैं उन्हें फुसलाने लगा और वह हंसकर मुझे अपनी गोद पर बैठाकर मुझे लाड-प्यार देने लगे । कभी कभार मुझे दो पैर पर खड़ा कर चलाते तो कभी मुझे पार्क ले जाकर खूब दौड़ाते। मेरे मालिक कितना प्यार करते हैं।
पर
अब सब झूठा-सा लगता है- क्या वो दिन सपना था? क्या वह प्यार किसी अपने का था? क्योंकि इन 2 सालों के बाद मैं या मेरे मालिक बदल गए। मैं जिस घर में पहले रहता था अब वहां से हटकर पता नहीं कब सड़क पर आ गया। जब किसी दूसरे कुत्तों से मैं भिड़ने जाता तो मालिक उन्हें पत्थर मार भगा देते थे। जब मैं दूसरे के जूठन को खाने जाता तो मेरे मालिक पटा खींच वहां से हटाते पर अब उन्हीं जूठन के सहारे पेट भरता है। पहले जिन कुत्तों को अजनबी, दुश्मन और गंदे नालों वाला समझता था आज मैं देखो न उन लोगों में शामिल हो गया हूं। शायद कुछ कारण रहा होगा कि मेरे मालिक मुझे छोड़ गए। पर हर रात में अभी भी उन्हें कोचिंग से वापस आकर देख अच्छा लगता है। पर अब उनके पास जाता हूं तो लात का प्रसाद मिलता है और मैं सहमा हुआ भाग जाता हूं। कोई बात नहीं कोई कारण रहा होगा कि मेरे मालिक मुझे छोड़ गये।
शायद कारण ये होगा-
"मेरे मालिक मुझे हर क्षण छूते रहते जिस कारण मेरे बाल [जो शायद मेरी सुंदरता थी] वो झड़ गई। अब मुझे नहाना बंद कर दिया गया है , समय पर टीकाकरण बंद हो गया है, जानते हो मुझे फोड़े होने लग गए हैं, शरीर में कुछ मांस ना रहा केवल हड्डी झलकता है अब बहुत दर्द होता है ,पाठको!।"
वाकई, दुनिया के मालिक(मनुष्य) बदल गए हैं। पहले उनके शरण में था तो कितना प्रेम था। पर वक्त और समय का भाव उल्टा हो जाएगा यह नहीं जानता था और चाहता हूं। मैं तो शायद खिलौना था। हां! बस एक फरक था- खिलौना मरे होते थे, पर मैं तो जिंदा लाश था ना-मालिक! जानते हो पाठको मेरे जैसे कई कुत्ते आपकी सेवा करते हैं। मिलिट्री में मेरे भी भाई हैं- उनके भौंकने के गर्जन को मैं भी महसूस करता हूं। आतंकियों,बॉम्ब को खोजने में मेरे भाई सबसे पहले आगे रहे हैं उन्हें ना भूलना पाठकों {यह विनती है मेरी}।
अब आंखें नम हो रही हैं आंसु आंखे को ढकने के कगार पर है। पर यह तो स्वाभाविक है कि जब मन हल्का हो तो अश्रु निकल जाते हैं।
आज, मैं यूं ही गलियों में भटकता,
कभी ठिठुरन में मरता हूं,
कभी सड़क पर ठोकर खाते बचता हूं ,
मैं कुत्ता हूं न,
मैं अब हर दिन मरता हूं।
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दोस्तों!
मैं आशा करता हूं कि आप बस इसे शब्दों का प्रवाह ना समझे यह संदेश जीवंत है। इस संदेश में दर्द है जो हमारे पालतू जानवर सहते हैं। और आज हमारे जैसे कलम के सिपाहियों को जागना होगा और संसार को उचित मार्ग दिखाना पड़ेगा। मुझे इस बात का आश्वासन है कि-इस "कलम के संसार" में हर कलाकार इंसानियत से पोषित है। पर इस संसार से बाहर एक और संसार है जहां के लोग अंधे हो चुके हैं। तो चलिए कलम के सिपाहियों उस संसार के लोगों के इंसानियत को जगाएं और मैं आशा करता हूं कि आप इस संदेश को हर लोगों तक पहुंचाएंगे।
"सिपाहियों अब बढ़ो"
© श्रीहरि