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KHAAR (PART-6)-SECOND STONE
कहानी के पिछले हिस्से में हमने जाना कि किस तरह खार ने अपना पहला पत्थर प्राप्त कर लिया।
अब खार वापस उन्हीं तीन दरवाज़ों के आगे पहुँच चुका था। खार अब दूसरे दरवाज़े की ओर बढ़ा, जिसपे लिखा था दया।
खार के आगे बढ़ते ही दूसरा दरवाज़ा खुल गया।वह उसके अंदर चला जाता है। खार कुछ दूर गया ही था कि उसने दिखा कि एक बैलगाड़ी का पहिया कीचड़ में फंस गया है और बैलगाड़ी वाला उसे निकाल नहीं पा रहा है। खार वहाँ गया और उसकी सहायता करने लगा ।उसकी सहायता करने के बाद खार आगे बढ़ा तो उसे एक बूढ़ी महिला दिखी जो लकड़ियों को उठाने का प्रयास कर रही थी। खार वहाँ गया और उसकी भी सहायता करने लगा। इस तरह उसे कई लोग मिले जिसकी उसने सहायता की।
काफी वक़्त बीत चुका था, तब खार को याद आया कि उसे पत्थर की तलाश करनी है। पर लोगों की सहायता करते हुए खार काफ़ी थक चुका था और उसे बहुत भूख लग रही थी।
उसने देखा वहाँ एक सेठ था जो पहनावे से काफ़ी समृद्ध प्रतीत हो रहा था। खार उसके पास गया और उससे भोजन मांगने लगा।
सेठ ने कहा कि मैं कुछ भी मुफ़्त में नहीं देता हूँ। यदि तुम्हें भोजन चाहिए तो तुम्हें मेरा काम करना पड़ेगा। खार राजी हो जाता है और सेठ उसे ढेर सारा काम बता देता है।
खार भूख से बेहाल होता है किंतु फ़िर भी धीरज रखके वो सारा काम पूरा करता है तब सेठ उसे भोजन देता है, खार भोजन करने बैठा ही होता है कि तभी उसके पास एक कुत्ता आता है जो बहुत भूखा होता है। खार को उसकी दशा देखकर उसपर दया आ जाती है और वो अपना भोजन उस कुत्ते को दे देता है। खार वहाँ बैठा होता है तभी उसका पहला पत्थर वहाँ गिर जाता है और वो कुत्ता उस पत्थर को अपने मुँह में दबाकर वहाँ से भागने लगता है, खार उसका पीछा करता है। जल्द ही कुत्ता उस पत्थर को एक स्थान पर रख देता है, खार वहाँ आता है और जैसे ही अपने पत्थर को उठाने का प्रयास करता है, वह देखता है कि वहाँ एक नहीं बल्कि दो पत्थर हैं। अचानक वह कुत्ता एक रौशनी में परिवर्तित हो जाता है और कहता है कि, खार यह तुम्हारी दया की शक्ति है, जो इस पत्थर में बसी हुई है।
तो इस तरह खार को अपना दूसरा पत्थर भी हांसिल हो जाता है।
अब सिर्फ़ एक पत्थर बाकी है। तो खार किस तरह प्राप्त कर पाएगा उस तीसरे पत्थर को...

© AK. Sharma