मायूसी…❤️
ऐसा नहीं है कि बड़ी उम्र में स्त्री को प्रेम नहीं होता!
प्रेम उसे भी होता है! पर वो किसी सफेद घोड़े पर सवार राजकुमार के ख्वाब नहीं देखती, न ही उसकी धड़कन किसी नवयुवक को देख बेकाबू हो जाती है! वो ऐसा इंसान चाहती हैं जो स्त्री में छुपी असल स्त्री को पहचाने, उसे समझे, उस स्त्री से प्रेम कर सके,
जोर से ठहाके लगाती स्त्री को
ज़रा ध्यान से देखा है!
हंसते होठों के पीछे का दर्द
हंसते-हंसते आए आंखों के पानी की असलियत!
छिपा लेती वह कितनी खूबसूरती से !
मेकअप की परतों के बीच
उदासी की लकीरें
साफ नजर आने लगीं!
लाल वस्त्रों से लिपटी
मर चुके मन के श्वेत कफन को
छुपाती वह स्त्री..
अपनी ज़िंदा लाश के वजूद को!
नहीं चाहती वह महल चौबारे ,
चाहती है तो बस एक छोटा कोना
जो सिर्फ उसका अपना हो
ना बड़े -बड़े वादे कसमें,
बस एक अपनत्व का हल्का स्पर्श
जो उसके मन को छू ले!
चाहती है अपने हिस्से का प्रेम,आदर..
और वह गर्व कर सके अपने
अस्तित्व पर!
छोटी-छोटी बातों में खुशियां तलाशती,
उसकी खुशी तो उसके माथे के स्वेद कणों को
पोछने वाले हाथ को !
चाहती है वह ऐसा साथी
जो पढ़ ले उसके मन की
भाषा .....बिन कहे !!❤️
~P.s
प्रेम उसे भी होता है! पर वो किसी सफेद घोड़े पर सवार राजकुमार के ख्वाब नहीं देखती, न ही उसकी धड़कन किसी नवयुवक को देख बेकाबू हो जाती है! वो ऐसा इंसान चाहती हैं जो स्त्री में छुपी असल स्त्री को पहचाने, उसे समझे, उस स्त्री से प्रेम कर सके,
जोर से ठहाके लगाती स्त्री को
ज़रा ध्यान से देखा है!
हंसते होठों के पीछे का दर्द
हंसते-हंसते आए आंखों के पानी की असलियत!
छिपा लेती वह कितनी खूबसूरती से !
मेकअप की परतों के बीच
उदासी की लकीरें
साफ नजर आने लगीं!
लाल वस्त्रों से लिपटी
मर चुके मन के श्वेत कफन को
छुपाती वह स्त्री..
अपनी ज़िंदा लाश के वजूद को!
नहीं चाहती वह महल चौबारे ,
चाहती है तो बस एक छोटा कोना
जो सिर्फ उसका अपना हो
ना बड़े -बड़े वादे कसमें,
बस एक अपनत्व का हल्का स्पर्श
जो उसके मन को छू ले!
चाहती है अपने हिस्से का प्रेम,आदर..
और वह गर्व कर सके अपने
अस्तित्व पर!
छोटी-छोटी बातों में खुशियां तलाशती,
उसकी खुशी तो उसके माथे के स्वेद कणों को
पोछने वाले हाथ को !
चाहती है वह ऐसा साथी
जो पढ़ ले उसके मन की
भाषा .....बिन कहे !!❤️
~P.s
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